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जनकवि कोदूराम ”दलित” की पुत्र वधु श्रीमती सपना निगम के नान्‍हे कहिनी

अड़हा टूरा के कहिनी
हमर गाँव मा एक झन जुंवर्रा टूरा रहिस हे. मूड ला अडबड खजुवाय औ लडर-बडर गोठियावय.  ओखर मूड मा बहुत अकन ले जुंवा अउ लीख भरे राहय. एक झन मितान हा ओला बताइस – ”आज-काल जुंवा-लीख ला मारे बर नवा सेम्पू आय हे. एको बेर लगा लेते,  तोर समस्या हा हल हो जाही. बने साफ-सुथरा रहे कर भाई ! मितान हा ओला सरीर के साफ-सफाई के महत्व बताइस. जुवर्रा टूरा हा तरिया मा नहाय ला जात रहिस. ओला मितान के बात सुरता आइस.जात-जात सोचिस – आज शेम्पू लगा के बने खल-खल ले नहाहूँ. तरिया मा डुबकहूँ अउ मूड ला फरियाहूं. वो हा दुकान मा जाके कहिस- ऐ भाई मोला बाल सफा करेके सेम्पू देबे.  दुकानदार मेर ले वो हा सेम्पू लेके तरिया चल दिस. सेम्पू लगा के, बने मूड ला मींज के नहाइस बपुरा हा, तरिया मा बूड के जइसे निकलिस अउ सोचिस, आज तो मोर चुंदी हा साहरुख़ सही बने फ़रियागे होही.
अरे ……ये का ? मूड मा जइसने हाथ लगाइस, वोखर चूंदी मन सब झर गे रहाय. रोवन लागिस बिचारा अउ मितान ला अडबड गारी देवन लागिस. टावेल-गमछा माँ अपन मूड ला तोप के गारी देवत-देवत मितान- घर गईस. मितान हा ओला नइ चीन्हीस. तय कोन अस, मोरे घर माँ आके मोहि ला गारी देवत हस. अड़हा टूरा अपन नाव बताइस अउ अपन मूड ला देखाइस. अरे….. ये का ? तोर तो सब्बो चूंदी सफा हो गे. चल तो दुकानदार ला धमकाबो, वो हा का सेम्पू दे रहिस, दुनों झन दुकान माँ गईंन .दुकानदार हा बताइस – बाबू ! तयं हा बाल सफा करे बर शेम्पू मांगे रहे. बाल साफ करे बर मांगे रहिते तो वइसन सेम्पू देये रहितौं. मोर कुछु गलती नइ हे. अड़हा बिचारा का करय ? थोरिक भी पढ़े-लिखे रहितिस त ये नौबत नहीं आतिस.
पढ़े-लिखे के बात ला सुन के ,मूडी ला झन खजुवावौ,
बेटा-बेटी मा फरक झन करव ,सबला पढ़ावौ -लिखावौ.
श्रीमती सपना निगम
द्वारा – श्री अरुण कुमार निगम

एच.आई. जी.१/२४
आदित्य नगर,दुर्ग.

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