छत्तीसगढ़ के माटी के महक ह न सिरफ भारत म बल्कि पूरा बिस्व म फइले हे। ए भूंइया ह तप अऊ पुन के भूंइया ए। इहां एक ले बड़के एक संत, रिसि अऊ मुनि पइदा होय हे। महानदी, सिवनाथ अऊ इंदरावती छत्तीसगढ़ के पबरित बोहात नदिया ए जेकर तीर म रहिके कइझन तप करइया होइस। महानदी ल छत्तीसगढ़ के गंगा कहे गयहे। छत्तीसगढ़ के अलग अलग बेरा म अलग अलग नाव परिस। रामायन काल म एला दक्छिन कोसल, महाभारत काल म प्राककोसल अऊ गुप्त काल म दक्छिनापथ कहे गिस। नाव कुछु रहिस फेर एकर महातम कभू कम नी होइस। ए पुन के भूंइया ह सिरिंगी रिसि, अगस्त रिसि, लोपामुदरा मुनि, बाल्मिकी रिसि, मतंग मुनि, मांडकरनी रिसि आदि मन के तप इस्थली रहिस। जन जन के मन म बसइया राम के ममा घर छत्तीसगढ़ रहिस। बैसनव संत बल्लभचार्य, सतनाम के परवरतक घासीदास, कबीर के परमसिस्य धरमदास छत्तीसगढ़ के माटी म जनमे रहिस। आवा जानिन हमर तपस्वी मन ल –
बाल्मिकी रिसि – छत्तीसगढ़ के महासमुंद म इस्थित तुरतुरिया आसरम बाल्मिकी रिसि के आसरम रहिस। तुरतुरिया म ही रइके बाल्मिकी जी ह कइ बछर ले तपसिया करे रहिस। आज घलो ए आसरम ल देखे जा सकत हे।
सिरिंगी रिसि – धमतरी के भूंइया म खरे जब्बर परबत सिहावा ह सिfरंगी रिसि के तप इस्थल रहिस। कहे जाथे के सिरिंगी रिसि के कमन्डल के पानी ले ही महानदी के उत्पत्ति होय हे।
सिरिराम – भगवान राम ह छत्तीसगढ़ के कइठन जघा म रूकके धियान अऊ तप करे हे। कहे जाथे के रामगढ़ के गुफा म राम सीता अऊ लछिमन ह रूके रिहिस। अपन बनबास के समय राम जी ह दन्डकारन्य ले होत लंका गय रहिस।
गौतम बुद्ध – ‘अवदानसतक’ नाव के पुस्तक म बताय गयहे के गौतम बुद्ध के छत्तीसगढ़ म आगमन होय रहिस। तीन महिना कोसल म रहिके धरम के परचार करिस।
रिसभदेव – महाभारत काल म रिसभदेव के आगमन छत्तीसगढ़ म होय रहिस। जांजगीर के गुंजी ल रिसभतीरथ कहे जाथे।
बल्लभचार्य – पुस्टिमारग के इस्थापना करइया बल्लभाचार्य के जनम छत्तीसगढ़ के चंपारन म होय रहिस। बल्लभाचार्य के परसिद्धि पूरा बिस्व म फइले रहिस। बैस्नव संपरदाय समरथक बल्लभाचार्य के सूरदास, कुंभनदास, परमानंददास अऊ किरिस्नदास चार सिस्य रहिस जेनमन किरिस्नलीला के परचार परसार करिस।
घासीदास – सतनाम धरम ल इस्थापित करइया गुरू घासीदास जी के जनम बलौदाबाजार के गिरौद म होय रहिस। गिरौद के छाता पहाड़ म आतम गियान पराप्त करइया घासीदास जमो मानव समाज ल एक बताइस।
बलभद्रदास – सिरफ दूध के आहार लेवइया बलभद्रदास छत्तीसगढ़ के मनखे मन ल तियाग अऊ तप के गुन सिखाइस। बलभद्र महराज ल दूधाधारी महराज के नाव ले घलो जाने जाय। दूधाधारी महराज ह तुरतुरिया के गुफा म तप करके आतम गियान ल पाइस। बाद म रायपुर आके बसगे। जेन जघा म बलभद्रदास जी रहिस ओहा आज दूधाधारी मठ के नाव ल जाने जाथे।
धनी धरमदास – धरमदास जी ह छत्तीसगढ़ म कबीर के गियान के परचार करइया होइस। कबीर के कुनडिलीनी गियान ल पाके धरमदास के बरम्हारंध्र ह खुलगे रहिस। धरमदास के जनम बांधवगढ़ के कसौंधन बैस्य परवार म होय रहिस।
जुग चाहे जेऊन होइस फेर छत्तीसगढ़ म पुन अऊ तप करइया कभू कम नी होइस। हर जुग म संत महात्मा के आगमन होत रहिस अऊ इहां के बन ल देखके इहे तप करे लग जात रहिस। हमर छत्तीसगढ़ ह सिरतोन पुन अऊ तप के भुंइया ए। इहां जनम लेना हमर पुन के परभाव ए।
दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर
Badiya jankari deha ji
Badhai ho.