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जवाब मांगत एक सवाल

हमर परदेस के भू-भाग के नांव छत्तीसगढ़ काबर परिस, कब ले परिस, एला अलग राज बनाय के मांग सबले पहिली कोन करिस, कोन पहिली एखर बिरोध म रिहिस अउ बाद म अघुवा बनगे, कइसे छत्तीसगढ़ राज हमला बरदान असन मिलिस, कब छत्तीसगढ़ी राजभासा के दरजा मिलिस, कब छत्तीसगढ़ी राजभासा आयोग बनिस, कोन तारीख ल छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस घोसित करे गिस? ये जम्मो सवाल के जवाब हे फेर मैं जेन सवाल के बात करत हौं वो सवाल ह छत्तीसगढ़ म दू-तीन साल ले घुमरत हे अउ घेरी-बेरी पूछे जावत हे।

होइस का एक दिन मैं अपन इस्कुल टाइम म कक्छा म पढ़ात रेहेंव ततके बेर मोर मोबाइल फोन के रिंग टोन बाजिस। मोर कान थोकिन कमजोरहा हे, हल्ला-गुल्ला म अजम नइ कर पांव। फोन बाजिस तौ टूरा मन चिल्लइन-’सर मोबाइल बाजत हे।’ मैं फोन उठाएंव तौ ओती मोर एक झन मास्टर संगवारी राहय। वो किहिस-’अरे यार आप छत्तीसगढ़ी साहित्यकार अव, मोर एक ठी सवाल हे-अंगरेजी म थैंक यू कथे, हिन्दी म धन्यवाद कथे, छत्तीसगढ़ी म ओला का कइही?’ असल म ये सवाल ओला एक झन लइका पूछे राहय तेखर सही जवाब वो ह मोर से जानना चाहत रिहिस। एकउहा महूं हड़बड़ा गेंव। आखिर एखर का जवाब दंव। फेर मैं केहेंव- ’छत्तीसगढ़ी म एखर बर कोई सब्द नइ हे, हमला छत्तीसगढ़ी म घलो धन्यवाद ही केहे ल परही। काबर के छत्तीसगढ़ी म धन्न सब्द तो हे जइसे- धन्न हे भगवान, धन्न भाग, घन्न हमर भाग, तेन हिसाब से धन्यवाद ल हम धन्न बाद कहि सकथन। निमगा छत्तीसगढ़ी सब्द नइ हे।’ फेर मोला लागिस के मोर संगवारी मोर ये जवाब से संतुस्ट नइ होइस। एखर बाद तो ये सवाल घेरी-बेरी आय लगिस। ये सवाल के सही उत्तर जेन भी होय मोला लगिस ये सवाल नो हे, ये ह महतारी भासा छत्तीसगढ़ी उपर लगाव के सूचक आय जेन ह आम बोलचाल म प्रचलित सब्द मन के छत्तीसगढ़ी पर्याय खोजे बर आमजन मन म उत्सुकता पैदा करत हे।

अभी हप्ता भर पहिली एकझन फेर मोर से इही सवाल करिस तौ मैं केहेंव, मैं ये सवाल के उत्तर देवत-देवत असकट्टा गे हंव अउ अब मोला ये सवाल के जवाब के रूप म एक ठी लेख लिखे ल परही ताकि सवाल करइया मन संतुस्ट हो जाय या एखर अउ कोनो अच्छा सा जवाब मिले के रस्ता खुलय।

ये सवाल के जवाब देय बर पहिली महूं ल एक ठी सवाल करे ल परही। का हमर धरम ग्रंथ, पोथी-पुरान म कोनो जघा ’धन्यवाद’ सब्द के परयोग होय हे? मोर जानकारी म तो नइ हे के हमर अतका पोट्ठ वांगमय म कोनो भी जघा, कोनो प्रसंग म ’धन्यवाद’ सब्द के परयोग होय हे। आधुनिक काल के पुरान अधारित साहित्य के बात नइ करत हौं। हमर रमायन, महाभारत, बेदसास्त्र के बात इहां करे जात हे। असल म धन्यवाद सब्द ह आधुनिक काल के देन आय। ये ह संस्कृत के दू ठी यब्द ’धन्य’ अउ ’वाद’ ले मिलके बने हे। हमर देस म दू सौ साल ले अंगरेज मन के राज रिहिस। अउ येला सरी दुनिया जानथे के अंगरेज मन कतका परंपरावादी अउ औपचारिकतावादी होथे। औपचारिकता निभाय बर बात-बात म थैंक यू, सॉरी, प्लीज़, एक्सक्यूज़ मी जइसन सब्द उंखर जबान के आघू म ओरमे रथे। अंगरेज मन राज करइया रिहिन अउ राजा के असर परजा उपर होना कोनो अचंभो बात नो हे। एखरे सेती धन्यवाद सब्द के निरमान हमर देस म घलो हो गे अउ एला एक अच्छा आदत मान ले गिस तेखरे सेती एखर परयोग घलो एकउहा चालू होगे। छत्तीसगढ़ राज बने के बाद छत्तीसगढ़ी के पूछ-परख सिरतोन बाढ़त हे। तिही पाय के तो छत्तीसगढ़ी म धन्यवाद के पर्याय पूछे जावत हे। ये हमर महतारी भासा बर सुभ लच्छन हे। जय हो!

दिनेश चौहान
छत्तीसगढ़ी ठिहा,
नवापारा-राजिम.
मो. 9826778806

दिनेश चौहान जी के जीवन परिचय कड़ी

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