जवारा अउ भोजली के महत्तम

एक समय पूरा छत्तीसगढ़ में सावन के महीना में सब कोनो भोजली बोवत रहिन। सबो गांव अउ शहर में घरो-घर भोजली दाई सावन मं लहरावत रहय। भोजली ल देवी के अवतार माने जात रहिस।
आज के समय में भोजली अउ जवारा बोवाई नंदावत जावत हे। आज के पढ़े-लिखे मनखे मन भोजली के वैज्ञानिक महत्तम ल न ई समझ सकिन। मगर ये ही जवारा (भोजली) ह पूरा दुनिया में तहलका मचा देहे हावय। संसार में आनी-बानी के बीमारी के स्थायी इलाज इही भोजली (गेंहू के जवारा) में होवत हे। दु:ख के बात ये हावय के, जब दूसरे देस के मनखे मन एकर वैग्यानिक महत्तम ल बताइन तब भारतवाली मनखे के मन मां एकर महत्तम समझ म आइस।
अमेरिका के एक माई (महिला) डॉ. एन. बीगमोर ह गेहूं के जवारा के शक्ति के खोज करिन, अउ प्रयोग करके बताइन के गेंहू के जवारा रस के प्रयोग से कठिन अउ गंभीर बीमारी ह ठीक हो जावत हे, केंसर अउ केंसर ले बड़े बीमारी एकर से ठीक होवत हे।
1. भोजली (गहूं के जवारा) हमर देश में सबले जादा भोजली छत्तीसगढ़ में बोए जावत रहिस। जब तक घर में भोजली बोवाय रहय, तब ओकर शुध्द वायु ल परिवार के सबो सदस्य मन सांस लेवत रहंय। ये शुध्द अउ दवा बरोबर एकर वायु सांस के माध्यम ले फेफड़ा म जावय अउ ये ही सुध्द हवा ह खून में जावय। तेकर ले पूरा सरीर के खून ह सुध्द अउ शरीर मजबूत होवत रहिस, तब एकर से वो समय के मनखे मन स्वस्थ जिनगी जीयत रहिन। अब तो घर-घर में आनी-बानी के बीमारी बाढ़त जावत हे। अउ भोजली बोए के दिन नंदागे। फकत रुपया-पैसा के चक्कर म सब मनखे मन गिरत हपटत भागत हे अउ गंभीर बीमार परत जावत हे। तेकर ले निवेदन हे, के एकर फायदा के वैग्यानिक आधार ल चेत करके भोजली बोए बर जरूर शुरु करव। जेमा सबे के कल्याण होवय।
2. जवारा रस ले ठीक होवइया बीमारी: गहूं के जवारा के रस ले भगन्दर पीलिया बुखार, थैल्सीमिया, ल्यूकेमिया (खून के केंसर) बवासीर, मधुमेह, गठिया, पेट के पीरा, दांत अउ मसूड़ा के रोग, खून के कमी, चमड़ी रोग, अनिद्रा, हाथ-गोड़ के कंपकंपी जइसे कतको कठिन रोग ठीक हो जावत हे।
3. जवारा रस बनाए के तरीका: अच्छा किस्म के गहूं ल 10-12 गमला या 5-6 छोट-छोट क्यारी में एक दू दिन के आड़ में बोवत रहय अउ छांव में रखे रहय। रोज थोर-थोर पानी ल छींचे असन डरात रहय। जइसे भोजली ल बोथें। 8-10 दिन के बाद पहली गमला या कियारी के पौधा ह 7-8 इंज बाढ़ जाथे, तब 40-50 पौधा ल जरी के संग उखान लेवव अउ ओकर जरी ल काट के अलग कर देवा, अब बांचे डंठल अउ पत्ती ल पानी म धोए के बाद, सबो ल सिल या मिक्सी में थोरकन पानी मिलाके पीस डारव। अब ओला जल्दी छान के पी लेना चाही। अइसने पारी-पारी एक-एक गमला के जवारा रस ल परिवार वाले मन ल बांट-बांट के पीना चाही, अउ जइसे-जइसे गमला खाली होवय जवारा 12 माह बो सकत होवन।
4. गहूं के जवारा रस ले फायदा: गहूं के जवारा रस में 70 प्रतिशत तरल क्लोरोफिल, पोटेसियम, केरोटीन, प्रोटीन, 90 से जादाद खनिज, लौह तत्व, कैल्शियम एन्जाइम, अमीनो एसिड, अउ बहुत अखन विटामिन सी,ए,बी,बी-12 आदि सामिल रइथे। जेकर रस ह आदमी के 40 प्रतिशत खून ले मेल खाथे तेकर सेती येला ‘ग्रीन ब्लड’ घलाव कइथे। ये हा खून के लाल रक्त कण ल बढ़ाथे, पचाए के काम ल बढ़ाथे। ये हा खून ल घला साफ करथे टॉक्सिन (जैव तत्व विष) ल निस्प्रभावी करथे। ये हा स्वस्थ अउ रोगी दूनो बर अमृत हावय।
5. सेवन करे के तरीका: गहूं के ज्वारा रस ल स्वस्थ, रोगी, लइकन, जवान अउ सियनहा सबो जन पी सकत हांवय। शुरु में 2-2 चम्मच पीना चाही। फेर धीरे-धीरे एकर मात्रा बढ़ावत आधा कप लेना चाही। ओकर बाद एक-एक कप तक लिए जा सकत हावय। एकर सेवन से कभू-कभू उल्टी, उबकाई या पेट भारी लगथे या दस्त हो जाथे। कभू-कभू माथा घला पिराथे तब एक से घबराा नई चाही। ये हा सरीर के असुध्दि ल बाहिर निकाले के लक्छन आय। येला बिहनिया खाली पेट में ही पीना चाही। ये जवारा रस ह दू घंटा के बाद बेकार हो जाथे, तेकर सेती एया जल्दी पीना चाही। जादा बेर के ला फेंक देना चाही। जवारा ल छोटे-छोटे काट के अउ चबा-चबा के के ओकर रस ल चूसे भी जा सकत हे। ये मा कुछु नइ मिलाना चाही।
6. छेवरहा बिनती: एखर उपयोग जरूर अउ सावधानी ले करना चाही। सावन महीना में भोजली बोए बर झन भुलाहा, एकर से घर-परिवार ल सुध्द निरोग हवा मिलथे एकर जादा जानकारी लेहे बर डॉ. गाला के पुस्तक ‘पृथ्वी के संजीवनी गहूं के जवारा’ ल जरूर पढ़िहा, भटकाव नई होही। हमर सरीर जब स्वस्थ रइही, तभे हमन स्वस्थ समाज स्वस्थ देस प्रदेस अउ स्वस्थ दुनिया में रहे लाइक सबो ल बना सकबो।
रोज बिहनिया खाली पेट में सहज योग ल करिहा।
भगवान बरोबर अपन दाई-ददा के पांव ल परिहा॥

श्यामनारायण साहू ‘स्याम’

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