Categories: कविता

जिनगी कइसे चलही राम

सिरावत हे गांव ले जम्मो बुता काम
जिनगी कइसे चल ही राम…
नागर नंदागे अउ टेकटर ह आगे
हसियां हिरागे अउ हरवेस्टर ह छागे
चुटकी म नाहकत हे दाउ के काम…
मंडल गउटियां सब सहर धरलिस भइया
बनिहार ल बनी नहीं, नइए पउनी के पोसइया
उजरत हे छइयां जनावत हे घाम…
चारों खूंट अंधियार हे नइ मिलय उहर
ऊप्पर ले पंचैती लंगरा, घोरत हे जहर
सरग सही गांव ह, होवत हे नरक समान
आज देखबे गांव त अंधियारी म बुड़त हे
इही गांव के सेती सहर जगर-मगर बरत हे
भलाई करइया के कटावत हे नाक कान…

अनिल भतपहरी
अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ी राजभासा साहित्य समिति

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