आगी कस अंगरा, दहकय रे मंझनिया ।
धूकनी कस धूकथे, संझा का बिहनिया ।।
हरके बरजे कस, पाना नई खरके ।
आंखी तरेंरे जब, कडके मंझनिया ।।
आगी कस अंगरा …………………
टूकूर – टूकूर देखे, नवा – नवा बहुरिया ।
भुकूर – भुकूर लागे, धनी मोर लहरिया ।।
आगी कस अंगरा …………………
चूह चुहागे पछीना, सरी अंग अंगिया ।
जरे घाम भोंभरा, ऐ…ओ परनिया ।।
आगी कस अंगरा …………………
पियासे हे तन – मन लेवई अउ चिरईया ।
डोंगरी पहाड अउ गांव का सहरिया ।।
आगी कस अंगरा …………………
झांझ झोला बरसे, आगी के गोला ।
कहां लुकाबो रे, नई बाचे चोला ।।
सांय – सांय करे अमरईया ।
आगी कस अंगरा, दहकय रे मंझनिया ।
धूकनी कस धूकथे, संझा का बिहनिया ।।
रामकुमार साहू ‘‘मयारू’’
ग्राम – गिर्रा (पलारी)
मो.नं. 98261 98219