Categories: कविता

डॉक्टर दानी के बानी

( नगर निगम चुनाव)

बस दु महीना बाद होवय्या हे हमर प्रदेस म निगम के चुनाव,
तेन ला जीते बर रमन हा नवाकार्यक्रम बर मांगत हे सुझाव्।

में हा जनता डहार ले उनला चुनाव जीते के तरीका बतावत हवं,
सबले पहली प्रसासनिक खर्चा ला कम करव कीके समझावत हवं।

अब सरलाता से बनना चाही जनता के जम्मो सरकारी सर्टिफ़िकेट,
तभे, चुनाव म बच पाही रमन सिंग के कमजोरहा टीम के विकेट।

अउ साथे साथ म रजिस्ट्री आफ़िस के फ़ंक्सनिंग ला घलो सुधारव,
एके जमीन के रजिस्ट्री के कागज ला दसो झिन ला झन धरावव्।

अउ ह्रर रजिस्ट्री के तुरते बाद आटोमेटिक होना चाही प्रमानीकरन,
पटवारी मन के दुआरी म महीनो हमला झन गाय ला परय भजन।

अउ अपन बिधायक,सांसद अउ छुट्भैया नेता उप्पर कसव लगाम,
बरना ए दारिक के चुनाव म हो जाही तुंहर मन के सोला आना काम्।

अभी काहीं जरूरत नइ हवय कोनो नवा मनलुभावन काम ला धरे के,
जरूरत हे जनता हित के जतका जुन्ना काम हे तेने ला बने से करे के

आज कल हर कालेज म टुरा टुरी मन कोन्टा म बैठे मिल जाथे,
तेने पाय अबके लैका मन थ्योरी ले जादा प्रक्टिकल म नंबर पाथे
कभू महूं सोचथवं मोरो उमर पच्चीस साल गर कम हो जातिस,
तो हमरो हांथ अलकरहा टाइप के प्रेक्टिकल नालेज नइ आतिस,
आज के पुरुस सिक्षक मन भसका डारे हवय सिक्षा के स्तर ला,
कालेज म घलो उन निकाल नइ पाय डौकी के गुस्सा अउ डर ला।
वैसे आज के एमए पीएचडी मेडम मन के कोई मुकाबिला नइ हे,
हालाकि उंखर से पढैया लैका मन ला चार आना भी फ़ायदा नइ हे,
हम तो अन्सालव्ड पेपर अउ गुटका पढ के ग्यान ला बढाय हवन,
तेने पाय काबिलियत देखाय के बेरा%

Share
Published by
admin