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तईहा के गोठ ल बईहा लेगे – कबिता

तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग।
मनखे ल हर के मनखे के छईंहा लेगे ग॥
एक मंजला दू मंजला होगे,
दू मंजला ह तीन मंजला।
नांगर जोतइया, बांहा बजइया,
होवत हे निच्चट कंगला॥
जम्मो सुख-सुभिता बाबू, भईया लेगे गे।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
खुरसी खातिर जात बांटय,
बांटय धरम-ईमान।
बोट खातिर मनखे बांटय,
बांटय ग भगवान॥
रावन हर लोकतंत्र के सीता, मईया लेगे।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
घुघवा बइठे सिंहासन म,
ठोंकत हांवय इहां ताल।
गांधी जी के टोपी पहिरे,
सब बनगे हंवय दलाल॥
पईसा बिचारी ल उड़रिया, रुपईया लेगे ग।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
अपने दोंदर भरत हंवय
करजा ऊपर ले के करजा।
अंधवा, भैरा कानून होगे,
जीते-जीयत मरगे परजा॥
सरी सरकारी माल साहेब, सिपईहा लेगे ग।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
गदहा खावय खीर-सोंहारी,
घोड़ा हर खावय कांदी।
मंत्री-संत्री, बनके कंत्री
लुवत हंवय सब चांदी॥
घर के घन-दोगनी घर, रखईया लेगे ग।
तईहा के गो ल भईया, बईहा लेगे ग॥
डॉ. पीसीलाल यादव
गंडई, पंडरिया
राजनांदगांव
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