छत्तीसगढिया सब ले बढ़िया । ये कहावत ह सिरतोन मा सोला आना सहीं हे । इंहा के मनखे मन ह बहुत सीधा साधा अउ सरल विचार के हवे। हमेशा एक दूसर के सहयोग करथे अउ मिलजुल के रहिथे । कुछु भी तिहार बार होय इंहा के मनखे मन मिलजुल के एके संग मनाथे ।
छत्तीसगढ़ ह मुख्य रुप ले कृषि प्रधान राज्य हरे । इंहा के मनखे मन खेती किसानी के उपर जादा निर्भर हे । समय – समय मा किसान मन ह अपन खुशी ल जाहिर करे बर बहुत अकन तीज – तिहार मनावत रहिथे ।
खेती किसानी के तिहार ह अकती के दिन ले शुरू हो जाथे । अकती के बाद में हरेली तिहार मनाथे । फेर ओकर बाद पोरा तिहार मनाय जाथे ।
पोरा तिहार – पोरा पिठोरा ये तिहार ह घलो खेती किसानी से जुड़े तिहार हरे ।येला भादो महीना के अंधियारी पाँख ( कृष्ण पक्ष) के अमावस्या के दिन मनाय जाथे । ये तिहार ल विशेष कर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र अउ कर्नाटक मा जादा मनाय जाथे ।
पोरा काबर मनाय जाथे – पोरा तिहार मनाय के पाछु एक कहावत ये भी हावय के भादो माह (अगस्त) में खेती किसानी के काम ह लगभग पूरा हो जाय रहिथे । धान के पौधा ह बाढ़ जाय रहिथे । धान ह निकल के ओमे दूध भराय के शुरु हो जाथे । या हम येला कहि सकथन के अन्न माता ह गर्भ धारण करथे । इही खुशी मा किसान मन ह पोरा के तिहार ल धूमधाम से मनाथे ।
बइला के पूजा – खेती किसानी बर सब ले उपयोगी पशु बइला हरे । बइला के बिना खेती के काम अधुरा हे । ये पाय के किसान मन ह आज के दिन बइला ल बढ़िया तरिया नदियाँ मा नउहा के साफ सुथरा करथे अउ ओकर पूजा करथे ।
ये दिन बइला ल बहुत सुघ्घर ढंग ले सजाय जाथे । ओकर सींग मा पालिस लगाय जाथे । घेंच मा घाँघरा पहिनाय जाथे अउ किसम – किसम के फूल माला पहिना के सजाय जाथे ।
प्रतियोगिता के आयोजन – पोरा तिहार के दिन गाँव अउ शहर सबो जगा किसम – किसम के प्रतियोगिता भी रखे जाथे । कोनों जगा बइला दौड़ के प्रतियोगिता त कोनों जगा बइला सजाय के प्रतियोगिता रखे जाथे । गाँव के मन ह एकर खूब आनंद उठाथे ।
माटी के बइला – ये दिन घरो घर मा लइका मन बर माटी या कठवा के बइला बजार ले खरीद के लाय जाथे । पहिली येकर घर मा विधि विधान से पूजा करे जाथे । ताहन लइका मन ये बइला ल खूब खेलथे । लइका मन भी एकर प्रतियोगिता रखथे अउ मजा लेथे ।
चुकी पोरा – टूरा (लड़का) मन ह माटी के बइला ल खेलथे त टूरी (लड़की ) मन ह चुकी पोरा खेलथे ।
चुकी पोरा मा खाना बनाय के जम्मो समान ह रहिथे ।
जइसे – चुल्हा , कराही,कलछुल,तोपना,तावा,चिमटा,
बेटी- बेटा बर पूजा – पोरा तिहार के दिन सबोझन अपन – अपन घर मा चौसठ योगिनी अउ पशुधन के पूजा करथे । जेमे अपन संतान के लंबा उमर के कामना करे जाथे ।
आनी बानी के पकवान – आज के दिन घर -घर मा आनी- बानी के पकवान बनाये जाथे । छत्तीसगढ़ मा चीला, चौसेला, ठेठरी, खुरमी, गुझिया, बरा, सोंहारी, खीर -पुरी, गुलगुला भजिया अइसे किसम – किसम के पकवान बनाय जाथे अउ मिल बाँट के खाय जाथे ।
तीजा के तिहार – भादो महीना मा अंजोरी पाँख (शुक्ल पक्ष) के तीसरा दिन तीजा के तिहार मनाय जाथे । छत्तीसगढ़ मा तीजा के तिहार ल माइलोगिन (औरत) मन बहुत ही धूमधाम से मनाथे । ये समय सबो दीदी बहिनी मन मइके मा आय रहिथे अउ अपन पति के लंबा उमर बर उपास रहिथे ।
दूसर दिन किसम – किसम के पकवान फल फूल अउ कतरा खा के फरहार करथे । तीजा के दिन सबो महिला मन नवा – नवा लुगरा पहिनथे अउ खेलकूद भी करथे ।
ये प्रकार से तीजा – पोरा के तिहार ल बहुत ही धूमधाम अउ उत्साह के मनाय जाथे । येकर से गाँव मा एक दूसर से मेलजोल बढथे अउ भाईचारा के भावना प्रगट होथे ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)
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