तैं कहाँ चले संगवारी
मोर कुरिया के उजियारी तैं कहाँ चले संगवारी॥
चाँद सुरज ला सखी धर के, भाँवर सात परायेन
अगिन देवता के साम्हू मां, बाचा सात बंधायेन
मोर जिनगी के फुलवारी तैं कहाँ चले संगवारी।
एक डार के फूल बरोबर सुखदुख संगे भोगेन
कोनो के अनहित ला रानी कभू नहीं हम सोचेन
मोर कदम फूल के डारी, तैं कहाँ चले संगवारी।
हाय हाय मोर किसमत फूटिस, फूटिस दूध के थारी
बाग-बगीचा सबो सुखागै, उजर गइस फुलवारी
मोरे जनम जनम के प्यारी कहाँ संगवारी।
चंदा-सूरुज सब्बे सुतगे, बूतिस दिया के बाती
मोला छांड निचर अकेल्ला, रखे मांग अहवांती
तोर सरन जाँव बनवारी तैं कहाँ चले संगवारी।
– प्यारे लाल गुप्त