जिनगी के पहिली भाखा,
सबले सजोर साखा आवस दाई|
अंधियार म उजास,
जेठ म जुड़ हवा के अभास आवस दाई|
बंजर म उबजैया बीज,
हर नजर ले बचैया ताबीज आवस दाई|
ममता के ऊंच अकास,
लईका के अटूट  बिश्वास आवस दाई|
सागर कस बिशाल,
चन्दन,चाऊर,रोली,गुलाल आवस दाई|
सावन के पहली पानी,
त्याग अउ ममता के कहिनी आवस दाई|
तीरथ कस पावन,
चन्दन-धुप कस ममहावन आवस दाई|
गीता के सीख,
कुरान के आयत सरीख आवस दाई|
जाड़ के कुनकुन घाम,
बिहनिया के राम-राम आवस दाई|
दया के भंडार,
असीस अउ दुआ के उपहार आवस दाई|
नोहस माँस-हाड़ भर,
नारी चोला म सकल ब्रम्हांड आवस दाई|
सरग शोभाहीन,
तोर आघु म देवता घलो महीन हे दाई|
बेद-पुरान महान,
ओखरो ले तेहा परधान आवस दाई|

सुनिल शर्मा”नील”
थान खमरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना-07/05/2015
बिरस्प

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