……………………….ये दे दू नवम्बर २००८ के “गुरतुर गोठ” ला मेकराजाला में अरझे ठाउका एक महीना पूर गय. सत अउ अहिंसा के संसार मे आज अलख जगाये के जबर जरुरत हवय. काबर के चारो कती हलाहल होथे. कहे तुलसी के दोहा के ..” तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुँ और ” .. गजब सारथक हवय. बैर भाव, इरसा, जलन, डाह जमो के अगिन जुडवाय बर जनव जुड पानी कस काम करथे मीठ बोली हा. “गुरतुर गोठ” के जनम अउ उदगार बस ये ही भाव ला हिरदे में धरके होये हवय !
………………………..सुघर सोच अउ बिचार सुघर काम करे बर मनखे ला जोजियाथें, भीतर ले जगाथें. सियान मन कहे हांवय के नदिया भले एक ठन होथे, पन उँहा पहुंचे के अउ नहाये के बाट अउ घाट कइयो ठन बनाथें. ओइसनहे मेकराजाला ला अधार बना के नवा जमाना, नवा तकनीक के सहारा ले भाखा अउ आखर के सेवा करे के “गुरतुर गोठ” एक पोठ जतन आय. छत्तीसगढ़ के जतका साहितकार, लेखक, कलमकार, कवि, चिन्तक अभी तक अपन रचना के सहारा ले हमर ये अभियान ले जुड़े हांवय उन सब ला सादर जय जोहार ! जमो नामी गिरामी कलमकार मन ले गुरतुर गोठ के मेकराजाला ला अपन अपन बिधा ले पूरे के जतन करे बर हमर सादर नेवता हे. पत्रिका के कलेवर, बिषय, अउ जमो सामग्री ला देखवईया, पढ़वईया, सोचवईया बुधिजन, सुधिजन ले अनुरोध हवय, अपन सुझाव, सलाह, बिचार हमन ला भेजत रहंय , हमर तन मन धन ले जबर जतन रैहि, के नित नवा कुछ कर सकी …बन सकी बना सकी .
……………………….सबे झन ला सुभकामना अउ मंगल कामना के संग….
तुंहर संगी..
बुधराम यादव