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दोहा

दोहा

सुकवि श्री बुधराम यादव जी के नवा  छत्तीसगढ़ी सतसई दोहा संग्रह “चकमक चिनगारी भरे “ से साभार –
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पहुना  कस बेटी भले – मइके बर दिन चार ।
पर मइके ससुरार के – मरजादा रखवार ॥ 
सिरतो  बेटी सिरज के  – रोथे  सिरजनहार ।
मया पुतरिया के कदर  – बिसरत हे संसार ॥
जेकर हिरदे नित भरे – सतगुन सुघर बिचार । 
जानव दियना ते धरे – करत रथे उजियार ॥ 
बिन किताब के घर लगय – जनव झरोखा हीन ।
सुद्ध पवन सत ज्ञान बिन – लगंय रहइया दीन ॥ 
अंतस ले जेहर रथे -अउ जतका नजदीक । 
हरछिन पुलकित मन रथे – बिन कउनो तसदीक ॥ 
जिनगी फूलय अउ फरय – बिपदा मन के बीच ।
जइसे चिखला म फूलय – खोखमा ह रस खीच ॥
 बड़े  बड़े सुरमा तलक – समे के भइन गुलाम । 
तभे कथे ‘बुध’ चलत रह – समे  ल करत सलाम ॥ 
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::बुधराम यादव ::
रिंग रोड नं 2 चंदेला नगर , बिलासपुर  (छ.ग)
मो. 9755141676 

5 replies on “दोहा”

Pramod Baghelsays:

श्री बुधराम यादव जी के रचना के अगोरा म आँखी फूटत रहिथे। आप के रचना के हर एक शब्द वेद वाक्य बरोबर आय। जेखर ले जिनगी के कउनो अवस्था म कतको हतास मनखे जिए बर नवा उदीम खोज लेथें।
या आपके रचना ल मैं अपन बर संजीवनी -बूटी कह सकत हौं।
बहुत बहुत भाग सेहरावत हे जिकर ले दू आखर कुछु सीख पायेंव।
प्रणाम हे..

चोवा राम वर्मा " बादल " हथबंदsays:

हमर मुड़का कवि श्री बुध राम यादव जी के बेटी मन के मान बढावत दोहा ल पढ़ के मन गदगद होगे।

VIJENDRA KUMAR VERMAsays:

भैय्या बुधराम यादव जी के दोहा ह अंतस मा घर कर गे,बधाई हो भैय्या जी I

shakuntala sharmasays:

पुन्नी कहिथे कान मा, शकुन बता दे बात
बेटी सेवा करत हे, तभो खात हे लात ॥

अजय अमृतांशुsays:

वरिष्ठ साहित्यकार श्री यादव के दोहा ल पढ के अंतस ह जुडागे आज अइसन बेरा म जबकि बेटी ल कोख् म मार दिए जाथे श्री यादव जी के दोहा ह बेटी मन ल सबल प्रदान करही सुघ्घर दोहा खातिर साधुवाद
– अजय अमृतांशु

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