धान कटोरा रीता होगे कहां होही थिरबांह है।
छत्तीसगढ़ के पावन भूइया बनगे चारागाह है।
बाहिर ले गोल्लर मन के आके, ओइल गइन छत्तीसगढ़ मा।
रौंद रौंद के गौंदन कर दिस, भूकरत हे छत्तीसगढ़ मा।
खेत उजरगे जमीन बेचागे खुलिस मिल कारख़ाना हे।
छत्तीसगढ़ के किस्मत मा दर दर ठोकर खाना हे ।
हमर खनिज ला चोरा चोरा के डोहारत हे चोरहा मन।
जंगल ल सब कांट काटके भरे तिजोरी ढोरहा मन।
इंहा के पइसा हा बंट जाथे दिल्ली अउ भोपाल हे।
जुर मिलके सब निछत हावै छतीसगढ़ के खाल हे।
शोसन के चक्की ह निस दिन चालत हे बारो मास हे |
छतीसगढ़ के पावन भुईया बनगे चारागाह हे |
कहां उड़ागे सोन चिरइया, कहां गे धान कटोरा हे
गांव गांव म होत पलायन, परे पेट मा फ़ोरा हे।
छत्तीसगढ़ मा लूट मचे हे, हमर उजरगे कुंदरा हे।
अपने धरती में हम होगेन कइसे आज बसुंधरा हे।
शोसन साहत कनिहा टूगगे फटे पाव बेवाई हे।
पेट चटक पोचवा परगे चेहरा परगे झाई हे।
सरे आम हमरे इज्जत के होवत हवै नीलामी हे।
छत्तीसगढ़ ह भोगत हावै अइसन घोर गुलामी हे।
छत्तीसगढ़ महतारी के अब करे कौन परवाह हे।
छत्तीसगढ़ के पावन भुइंया बनगे चारागाह हे।
– सुशील यदु