कोकडा कस देह उज्जर, करिया हे मन ।
आनी बानी के बाना, धरय छन-छन ।।
आनी बानी के बाना, धरय छन-छन ।।
घेरी बेरी बदलय, टेटका कस रंग ।
कोनो नई जांनय इंखर ठंग ।।
हाथ लमाए हस, छुए बर अकास ।
अंतस म छल-कपट सुवारथ सत्यानास ।।
जनता के सुख दुख ले इनला का लेना ।
अपन मतलब के छापत हे छेना ।।
मेंछा ल अंटियावत हे, बांधे हे फेंटा ।
देस के बारी ल चरत हे नेता ।।
आनंद तिवारी ‘पौराणिक’
महासमुंद