घेरी बेरी बदलय, टेटका कस रंग ।कोनो नई जांनय इंखर ठंग ।।
हाथ लमाए हस, छुए बर अकास ।अंतस म छल-कपट सुवारथ सत्यानास ।।
जनता के सुख दुख ले इनला का लेना ।अपन मतलब के छापत हे छेना ।।
मेंछा ल अंटियावत हे, बांधे हे फेंटा ।देस के बारी ल चरत हे नेता ।।