नौ बछर के छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ राय जब तक गर्भ म रहिस हे तब तक ओ ह छटपटावत बहुत रहिस हे। कमजोर महतारी ह ओखर ऊपर, धियान कम दिस। छत्तीसगढ़ के हुकारू ह दिल्ली तक पहुंचीस, ओखर दु:ख पीरा ल सुनके दिल्ली ह ओखर इलाज करीस। सन् 2000 म छत्तीसगढ़ के जनम होईस। बहुत दु:ख पीरा के संग-संग घर के अंगना म खुसी जब बहुत विलंब ले आथे तब खुसी के रंग बदले रहिथे। छत्तीसगढ़ संग घलो अइसने होईस। खुसी ल महतारी अपन अंचरा म, ददा ह अपन गमछा म रखे नई सकिस। दू लइका के बीच म ओखर खेल खिलौना बंटागे। संगवारी घलो बंटागे। फेर मया बहुत हे। देखत-देखत एक साल बीत गे। ओखर जनम दिन एक नवम्बर के रायोत्सव के रूप म मनाए गीस। गांव-गांव के जनता ओमा उमड़ परीस।
ओखर बाद राय म राजधानी बनीस। रायपुर के राजधानी बनतेच्च परेसानी चालू होगे। रद्दा ल चाकर बनाना घलो एक मुसीबत बनगे। धीरे-धीरे ये मुसीबत कमती होवत गीस। समस्या होगे जनसंख्या के हां, रायपुर के जनसंख्या म बाढ़ आगे। गांव-गांव के आसपास के राय के मन इहां रोजगार के तलास म आए ले लगगे। राजधानी के हर रद्दा म जाम लगे ले लगगे अब जरूरत होईस नया राजधानी के, ओखरो विकास होवत हावय।
विकास कहिबे त हर क्षेत्र म विकास होवत हावय। पर्यटन के स्थान अब विश्वस्तरीय होगे हे। इहां के कला, लोकगीत, लोक नाटय, गहना, 26 जनवरी के दिल्ली के कार्यक्रम म अपन इस्थान बना डरे हावय।
छत्तीसगढ़ी भासा राज भासा बनगे। विधानसभा म एखर उपयोग मान्य होगे। सिक्छा विभाग कोशिश जरूर करे हावय फेर छत्तीसगढ़ी भासा ल पढ़ाए के बाद भी भासा बर कुछु जादा काम नई होईस। शैक्षिक विकास जरूर होय हावय। साक्छरता दर म बढ़ोतरी होईस। वाचन कौसल विकास कार्यक्रम अच्छा चलिस। वाचन संस्कृति विकास बर 2007 म ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ म अपन स्थान बनईस। सत्येन मैत्रा साक्छरता पुरस्कार राष्ट्रपति ह 2007 म दंतेवाड़ा जिला ल दिस। 2008 म सरगुजा जिला ल पुरस्कार मिलिस। सिक्छा के छेत्र म ‘हम होंगे पांचवी पास’ कार्यक्रम सफलता पूर्वक चलिस। ‘प्रौढ़ सिक्छा और सतत् सिक्छा केंद्र’ खुलीस। सिक्छा बर बहुत काम होईस। इसकूल भवन ऊपर सरकार जादा धियान नई दे पइस। पहिली चकाचक भवन होना रहिस हे बाद में दूसर काम। एखर ले आकर्षण होतिस। इंजीनियरिंग कॉलेज सैंतालिस ठन हावय। अपन-अपन इच्छानुसार पइसा कमाय के फैक्टरी खुलत हावय। फेर रोजगार के काय होही ऐला सरकार नई सोचिस। फीस के अलग मनमरजी चलीस। नौ साल के उपलब्धि म ये ह सबले दु:खद बात आय।
‘गौरवपथ’ निर्माण बहुत तेजी ले चलत हावय। ‘गौरवपथ’ तो हमर लोक कला हस्तशिल्प ल अइसे उजागर करत हावय के कोनो भी परदेसी आही तेन ओला रूक के जरूर देखही। ओखर मन म इहां के पर्यटन इसथल मंदिर, देवाला, ल देखे के मन जरूर होही अउ वो ह देखे बर जाही जरूर। एक से एक मूर्ति कला देखे बर मिलत हावय। हमर बस्तर के शिल्प ल दुनिया भर के मनखे आत जात देखही। कृषि के छेत्र म घलो बहुत उन्नति होय हावय।
‘बायोडीजल’ जेट्रोफा के खेती ल बढ़इस। देस म पर्यावरन संरक्छन म छत्तीसगढ़ अपन नाम कमइस। सौर ऊर्जा ले कई ठन गांव म अंजोर बगरगे। अइसे जंगल के भीतरी म बसे गांव जिहां बिजली के तार पहुंच नई सकय। ऊहां घलो अंजोर पहुंचगे। खुसहाली के लहर सब जगह दऊंड़त हावय।
हर साल राय के जनमदिन रायोत्सव के रूप म मनाए जाथे। हर विभाग के विकास अपन झांपी खोले बइठे रहिथे। नौ बछर के होगे छत्तीसगढ़ राज। ओखर सब्बो अंग के विकास ह दिखत हावय। अब ओमा सुन्दरई आना आरंभ हो जही। छत्तीसगढ़ महतारी के लइकापन ह अब कमतियात हावय। सही तो आय आने वाला 2-3 साल म छत्तीसगढ़ अपन यौवनावस्था म आए ले धर लीही। यही तो वो समय आय जब एक किशोर के अंग प्रत्यंग निखर जथे। ये छत्तीसगढ़ ल तब देस के चारों खुंट के राज मन आंखी फाड़-फाड़ के देखहीं। ये आय हमर नौ बछर के रूप। एक खाका, एक सही आकार। अब तो भइगे सब विभाग ऊपर नजर भर रखे के जरूरत हावय। काबर के अइसना समय म पैर बहके के डर रहिथे सोसन करइया के कान खींचे बर परही। दिस सही मिलत राहय त नौ बछर के लइकुसहा छत्तीसगढ़ ह दू अऊ तीन साल म प्रौढ़ता प्राप्त कर लिही। जय छत्तीसगढ़।
सुधा वर्मा

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