उड़त हे अबीर गुलाल,
माते हे मऊहा चार I
टेसू फुले, परसा डोले,
पींयर पींयर सरसों रस घोरे,
दुल्हन कस धरती के सिंगारI
उड़त हे अबीर गुलाल,
होली हे ——–
मऊरे आमा मद महकाएँ,
कोयलियाँ राग बासंती गायें I
कनवा, खोरवा गंज ईतरायें,
नशा के मारत हे उबाल,
उड़त हे अबीर गुलाल I
होली हे ———
ढोल,मजीरा, मृदंग बाजै,
घुँघरू के सन गोरी नाचै I
होठ रसीले गाल गुलाबी,
फागुन के येदे चाल शराबी I
माते हे मऊहाँ अऊ चार,
उड़त हे अबीर गुलाल I
होली हे ——–
नींद निरमोही सपना भागै,
रंगे में डूबके फागुन हासैI
मन में सागर के जल उमड़े,
मया के बोहावत हे धार I
उड़त हे अबीर गुलाल,
माते हे मऊहाँ चार I
होली हे ———
विजेन्द्र वर्मा अनजान
नगरगाँव (धरसीवां)
जिला-रायपुर (छ.ग.)