Categories: तिहार

बसंत पंचमी एक मनभावन परब

बसंत पंचमी विशेष

बसंत रितु ल सब रितु के राजा कहे जाथे। काबर के बसंत रितु के मौसम बहुत सुहाना होथे। ए समय न जादा जाड़ राहे न जादा गरमी। ए रितु में बाग बगीचा सब डाहर आनी बानी के फूल फूले रहिथे अउ महर महर ममहावत रहिथे। खेत में सरसों के फूल ह सोना कस चमकत रहिथे। गेहूं के बाली ह लहरावत रहिथे। आमा के पेड़ में मउर ह निकल जथे। चारों डाहर तितली मन उड़ावत रहिथे। कोयल ह कुहू कुहू बोलत रहिथे। नर नारी के मन ह डोलत रहिथे। ए सब ला देखके मन ह उमंग से भर जथे। एकरे पाय एला सबले बढ़िया रितु माने गेहे।



बसंत पंचमी ल माघ महिना के पंचमी के दिन याने पांचवां दिन तिहार के रुप में मनाय जाथे। ये दिन गियान के देवइया मां सरस्वती के पूजा करे जाथे। एला रिसी पंचमी भी कहे जाथे। ए दिन पीला वस्तु अऊ पीला कपड़ा के बहुत महत्व हे। आज के दिन सब मनखे मन पीला रंग के कपड़ा पहिर के पूजा पाठ करथे। बसंत पंचमी के दिन ल शुभ काम के शुरुवात करे बर बहुत अच्छा दिन माने गेहे। जइसे – नवा घर के पूजा पाठ, छोटे लइका के पढ़ाई लिखाई के शुरुवात, नींव खोदे के काम, दुकान के पूजा पाठ, मोटर गाड़ी के लेना आदि।



बसंत पंचमी के कथा – जब ब्रम्हा जी ह संसार के रचना करीस त सबसे पहिली मानुस जोनी के रचना करीस। फेर वोहा अपन रचना से संतुष्ट नइ रिहीस। काबर के आदमी मन में कोई उतसाह नइ रिहीस। कलेचुप रहे राहे। तब बिसनु भगवान के अनुमति से ब्रम्हा जी ह अपन कमंडल से जल (पानी) निकाल के चारो डाहर छिड़कीस। एकर से पेड़ पौधा अऊ बहुत अकन जीव जंतु के उतपत्ति होइस। एकर बाद एक चार भुजा वाली सुंदर स्त्री भी परगट होइस। ओकर एक हाथ में वीणा दूसर हाथ में पुस्तक तीसरा हाथ में माला अऊ चौथा हाथ ह वरदान के मुद्रा में रिहीस। ब्रम्हा जी ह ओला वीणा ल बजाय के अनुरोध करीस। जब ओहा वीणा ल बजाइस त चारो डाहर जीव जंतु पेड़ पौधा अऊ आदमी मन नाचे कूदे ल धरलीस। सब जीव जंतु में उमंग छागे। जीव जंतु अऊ आदमी मन ल वाणी मिलगे। सब बोले बताय बर सीखगे। तब ब्रम्हा जी ओकर नाम वाणी के देवी अऊ स्वर के देने वाली सरस्वती रखीस। मां सरस्वती ह विदया अऊ बुद्धि के देने वाली हरे। संगीत के उतपत्ति मां सरस्वती ह करीस। ए सब काम ह बसंत पंचमी के दिन होइस। एकरे पाय बसंत पंचमी ल मां सरस्वती के जनम दिवस के रुप में मनाय जाथे।



पतंग उड़ाय के परंपरा – बसंत पंचमी के तिहार ह खुसी अऊ उमंग के तिहार हरे। ये दिन पतंग उड़ाय के भी परंपरा हे। आज के दिन छोटे बड़े सब आदमी पतंग उड़ाथे अऊ खुसी मनाथे। कतको जगा पतंग उड़ाय के परतियोगिता भी होथे। ए परकार से बसंत पंचमी के तिहार ल सब झन राजीखुसी से मनाथे अऊ एक साथ मिलके रहे के संदेश देथे।

महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला – कबीरधाम (छ. ग)
पिन- 491559
मो.- 8602407353
Email -mahendradewanganmati@gmail.com



Share
Published by
admin