Categories: कविता

बहिरी ह इतरावत हे

जम्मोझन ऐके जगह जुरियाये,
बहिरी धरे मुस्कियात
फोटू खिंचावत हे,
अउ बहिरी मन के बीच,
मंजवा मचावत हे।
कचरा के होगे हे बकवाय
ऐती जाय कि ओती जाय,
पुक बरोबर उड़ियावत हे।
एइसन तो स्वच्छ्ता अभियान ल
आगू बढ़ावत हे,
वेक्यूम क्लीनर ह
कुड़कुड़ावत हे
बहिरी ह इतरावत हे।

 

 

 

 

वर्षा ठाकुर

Share
Published by
admin