बेटी के ददा
निरीह लाचार
दहेज के बजार म
दमांद के खरीदार.
इंसाफ
वो ह पूछिस, इंसाफ कहां मिलही
मैं थाना के रद्दा देखा देंव.
आबादी
आबादी दिन दुगना
रात चौगुना बढे
जइसन साहूकार के
सूद चढे.
समाचार अउ बिचार
समाचार – एक झन मनखे
भूख म गरगे
बिचार – जरूर आम आदमी होही
जउन मंहगाई ले डरगे.
दवा
चमचा – ‘महंगाई ले मनखे मन के
नींद हवा हे’
मंत्री – ‘इही, तो मनखे ल
जागरूक रखे के
सरकारी दवा हे.’
काशीपुरी कुन्दन
अध्यक्ष
व्यग्यंम अकादमी
राजिम, छ.ग.
ye kavita ha bahut achchha lagis he
सुघ्घर बियंग कुंदन भैया