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व्यंग्य

मनखे के भाव

बड़ बिहनिया मुंदरहा ले बेर निकले के पहिली नागर ला खान मा धरे चौरसता ले आघू कोती अरहू कहिके हफरत नाहकत रेहेंव ततके मा एक ठन मोटर हा आके मोर सन हबरगे। बीच रसता मा मुहु केर्रा गिरेंव मोटर के आघू घलो पेचक गे।
मोर उठते, मोटर ले एक झन उतरिस ललछरहा मेंहा देखत केहेंव कइसे तोला दिखे घलो नही का जी-अतक बड़ रसता हा। गरीब मनखे मोर बासी पेज गंवागे नागर टूटगे बने होगे परान बाचगे हात गोड़ नी टुटिस? नीहिते, नीहिते-का, का होही अंधरा उत्ती बेरा के अंजोर तोला अंधियार लगत हे। अतक बड़ मोटर नी दिखिस झपा गेस। अउ टुरी जात ला टुरा किथस तोर भाव बाढ़ गेहे कारे? मोर बर तनियाय लगगे भई। अतेक होत ले सुरूज देवता के दरसन होगे। सिरतोन देखथों ते टुरी जात रहाय वोकर पहिनावा टुरा कस रहाय- फुल पेंट, हात मा चुरी नही, कुरता पहिरे अउ चुंदी घलो नान-नान बड़ जनिक धोका होगे। आंखी चकराय लगगे फेर महु हार नी मानेव पीछु डहान ले झउहा मा रापा-कुदारी धरके गोसईन आगे।
वोला सबो हाल समझत बेरा नी लगिस, मोला छिदिर- बिदिर देखिस ते उहु बगियागे, कछोरा भिरके मोर कोती आरो लिस। अपनो पहिली टुरा जात होही गुनते रिहिस फेर तुरते चिन डरिस, किहिस- कइसे वो मोर मनखे तोर काय बिगाड़े रिहिस? मोटर वाली किथे- पहिली एके झन के व बाड़हे रिहिस फेर अब तो दूनो झन के बाड़गेहे मेंहा नी उतार दुहु तुम्हर भाव ला ते देख लुहु। दु कौडी के मनखे, मोला देखो-दस लाख के गाड़ी हरे, मोर गहना-जेवर लाखों रूपिया के हावे, कतको पईसा मोर बेग मा परे हे। तोर कर काहे तेनला बता? गांव के पटेल अउ सरपंच घलो फटफटी मा जात रिहिन- मोला देखके किहिन का होगे बैशाखु तोला? मेंहा सबो हाल ला बतायेंव सबो डहान ले बल पाके महु जोम दे देंव।
चारो मुड़ा मनखे जुरियाय लगगे। मोटर वाली पहिली चांय-चांय करत रिहिस फेर मनखे ला देखके उहू अकबकागे, मनखे मन किथें- दूसर के व ला तैं का बताबे तोर व तो अलगे दिखत हे। बिचारी अपन बोली ला संलत किथे, मोर केहे के वो अरथ नी रिहिस भई। मैहा बैशाखु ला कहना चाहत रेहेंव तैंहा अभिन चपका के मर जाय रिते ता तोर पीछु मा परवार के मनखे मुड़ धरके रोत रितिन अउ तोर पीछु दु चार झन आघु आतिन ते दु-चार हजार, किरिया- करम, खवई- पीयई बर मिल जतिस सरकार डहान ले अउ येकर ले जादा काय।
बड़े मनखे पहुंच वाला होतिस ता लाखो रूपिया तुरते मिलतिस परवार में एक झन ला चाकरी मिलतिस नेता मन के लैन लगे रितिस। मोटर वाली किथे लेव बताव ई- कोनो गलती कहात होहू तेनला, येहातो मनखे के मरेके गोठ होईस, हीरो हीरोईन ला देख लेवव कई लाख के फोटु जगा- जगा देखले हमन ला एक ठन फोटु खिंचाय बर पसीना छुट जथे। एक ठन सिनिमा मा बूता करेके करोड़ो मिलत हे हीरो-हीरोइन ला। किरकेट खेलईय्या मन एक ठन मैच ला जितथें ता कतको पीड़ही के लईक पईसा मिलथे खाय ले नी सिराय, आखर उहु मन तो मनसे हरे जिकर कर अतक पईसा बरसत हे। बिचारी आधा डर आधा बल करत अपन गोठ ला रखत जाय। सबे मनसे धियान लगाके सुनत रहाय। उही रददा मा थोरिक बेर मा पुलुस वाला अउ नेता घलो आगे। सबो ला देखके उहु मन रूकगे सपफा हाल ला दुनो झन ला बतईन।
सपफा हाल ला जानके पुलुस-नेता-सरपंच मन मोटर वाली ला किथें-तैहा बैसाखु के नागर ला टोरे हस बासी पेज गवागे अउ वोकर सन गोसइन के नागा होगे सबके रपई करदे तहाने जा। कईसनो करके बैसाखु-नेता ले छुटिस ते पुलुस वाला किथे तोर गाड़ी ला धर अउ थाना चल उहां तोर कागजात ला साहेब करा देखाबे। बिचारी पुलुस ला कतको मनाय फेर मानबे नी करे। अइसने अलहन मा आधा दिन पहागे रिहिस, भूख के मारे पोटा अइटत रहाय अउ कुछु सुझत नी रहाय। काय जाने अतेक बड़ बिपत आही कहिके, घूमे असन निकले रिहिस। टुरी जात एके झन पईसा कौड़ी घलो सिरागे देवई मा, येती गांव के मन जुरियागे रहाय।
अतका मा ददा हा खोजत निकलत रहाय तेकर नजर परगे नोनी उपर। हुरहा अपन ददा ला देखके सरम ले पानी पानी होगे। अपन सबो झन ले समझौता करत ददा हा नोनी ला छोड़इस। जाय के बेरा बुधारू मोटर वाली ला किथे तोर भाव कतक.

 दीनदयाल साहू