जेवन ह हमर तन अऊ मन बर बहुतेच जरुरी हे।खानपियन ल सही राखबो त हमर जिनगी ह सुघ्घर रही।भगवान घलो हमर जनम के पहिली ले हमर खायपिये के बेवस्था कर देते।अभी गरमी के मऊसम चलत हे ऐ मऊसम म सबला खाय पीये के धियान रखना चाही।सबले जादा हमर काया ल गरमी म पानी के जरुरत पड़थे।तन अऊ मन ल ठंढा राखे के अऊ पोसक तत्व के बहुतेच जरुरत हे। एकरे सेती हमनल धियान रखना हे कि कोन जिनिस ल खायपिये म संघेरन।हमर सियान गियानिक मन गरमी के दिन म खायबर अऊ पियेबर जौन जिनीस ल बताय हे ओकर परयोग करना चाही।प्रकृति ह घलो मऊसम के अनुसार फर फूल अऊ सागभाजी के बेवस्था ल करथे।इही ल हमला समझना अऊ समझाना हे।सबो जिनीस हमर अरोस परोस म मिल जाथे,बजार ले बिसाय बर जादा नई परय।खायपिये के रुप म ऐला संघेर सकत हन।
1. लिमऊपानी–घर म नई ते आस परोस म लिमऊ मिल जाथे , रोज दू गिलास पानी म एकर रस मिलाके पी लेना चाही।एकर ले तन मन ठंढा रहिथे।
2. मही(छाछ)–मही म कैल्सियम, पोटेसियम , जिंक रथे जौन तन म फुरती लाथे। एक गिलास रोजीना पीये जा सकथे।एला खाय के पाछू पिये ले अऊ जादा फायदा होथे।छत्तीसगढ़ म महीबासी खाय जाथे।
3. खुसियार(गन्ना) रसा– गरमी के घुमई फिरई म पानी के कमती हो जाथे।घाम में घुमत बेरा एक गिलास खुसियार सरबत पी लेना चाही।
4. कलिंदर(खरबूज,तरबूज)– कलिंदर में 80 परतिसत पानी रहिथे ।एमा सबो बिटामिन बी1, बी2, बी5, बी6 ,पोटैसियम , सोडियम रहिथे । एला सरबत बनाके पीये जा सकत हे नई ते सीधा खा सकत हन।
5. पदीना सरबत– पदीना पान के रसा निकाल के सरबत बना के पीये ले गजबेच फायदा मिलथे। लू लगे म नान्हे लईका बर रामबान माने जाथे।
6. नरिहर पानी– नरिहर पानी म अड़बड़ अकन पदारथ रथे जौन हमर तन ल सुघ्घर ठंढा राखथे।
7. आमा के अमरसा / पना– आमा ह गरमी काटे के सबले बड़े फर आय।कच्चा अऊ पक्का दूनो आमा ह फायदा करथे। आया म आयरन अऊ बिटामिन रहिथे जौन हमर तनबर फायदा करथे। आमा के पना गरमी म बड़ फायदा करथे।
8. खीरा / ककड़ी– हमर जेवन म खीरा ककड़ी ल संघेरना चाही। बन सकय त रोजीना एक गिलास खीरा के सरबत बना के घलो पीना चाही।
9. बेल के सरबत– गरमी म हमर प्रकृति ह एक अमरित असन फर बेल देय हावय। एकर सरबत बनाके पीये ले कतको गरमी रथे ओ हा भाग जाथे।
10. कटहर– कटहर के फर गरमी म आथे। एला छत्तीसगढ़िया मन साग रांध के खाथे। बरबिहाव म कटहर साग ल अड़बड़ मागथे।गरमी म बीपी बाढ़े के जादा सिकायत रथे, कटहर खाय ले बीपी कमती हो जाथे।
11. तुमा(लौकी)– तुमा के तरकारी ह सबो मऊसम म मिलथे।कतको झन ऐला पसंग नई करय फेर एमा पानी के मातरा जादा होय ले सियान मन तुमा साग ल खाय के सलाहा देथे।
12. गोंदली(पियाज)– गोंदली ल तामसिक जिनिस कहे जाथे।ये ह गरमी लाथेफेर एला सलाद बनाके खाय म गजबेच फायदा मिलथे।
13. गुलकंद– एला जेवन करे के पाछू खाय जाथे।
अईसने किसम के अऊ जिनीस कांदाभाजी, अमारी भाजी, करमत्ता भाजी, लाल भाजी हावय जेन ल खाय ले बिमारी ले रोकथाम होथय अऊ ठंढा राखथे।संगे संग बताय हे कि गरमी म तेल अऊ मसालादार साग , मास, मछरी ,अंडा, दूध,दही, लेवना, के जादा खवई पियई नई करना चाही। काजू,किसमिस, बदाम (ड्राई फ्रूट्स) के परहेज करना चाही। चाय, काफी गरमी देवईया आय ओला बंद कर देय ले आधा बिमारी अईसने कमती हो जाथे ” जीयेबर खाना हे खायबर जीना नई हे” ।
हीरालाल गुरुजी” समय”
छुरा, जिला–गरियाबंद