भाव के विचरन- नौ रस ले मन तक

पुस्तक समीक्छा
‘राम पियारी म दुर्गा जागीस’ छत्तीसगढ़ी कहानी संगरह म नारी के मन के बात हावय। एक पुरुष नारी के रूप म अपन महतारी ल देखथे। ओखर मन के पीरा, खुसी, दु:ख-दरद म, एक प्रौढ़ पुरुष, एक किशोर, एक लइका हर दिन ओखर संग रहिथे। अऊ इही म जीथे। बिहाव के बाद एक नारी गोसइन के रूप म अउ जुर जथे। येखर दु:ख पीरा के रंग अलग होथे। मां के पीरा अऊ खुसी के संग लइका दुनिया ल समझथे। अपन तीर- तार के नता, रिस्ता के किस्सा ल सुनथे इही किस्सा, कहिनी मन के भाव म छपत जथे।
जब वो लइका एक कलम पकड़थे त उही छपे भाव ह अपन अलग स्वरूप ले थे अउ सब्द के रूप म कागज म उतरत जाथे। रूपेंद्र पटेल के जम्मों कहिनी मन मड़ई म छपगे हावय ये उही मन के भाव आय जेन ह कलम पकड़े के बाद कागज म उतर गे हावय।
‘पीरा ले मया जनमथे’ कहिनी अंधविश्वास ल तोड़थे। सराबी पति ल एक सीख देवत कहिनी राम पियारी म दुर्गा जागिस नान- नान हावय फेर सुग्घर हावय। ‘उढ़रिया’ छत्तीसगढ़ के माटी ले जुरे कहिनी आय। ‘एहा उमर म’, ‘बिहनिया के भुलाय’, ‘संस्कार’, ‘मरजाद के खातिर’ म नारी के अलग-अलग रूप ह दिखथे। अपन भुइंया कहिनी माटी के मया ल बतावत हे।
‘सिका के टूटती अउ बिलाई के झपटती’ हाना अपन भुइंया के हाना सब गोठ ल बता देथे। एखर आखरी पंक्ति बड़ मार्मिक हावय। जब जगदीस सुसक-सुसक के कहिथे के मोर ले भारी गलती होगे अब अपन गांव म अपन भुइंया के अंचरा म जिहंव कमाहंव।
पुस्तक के अंत बहुत बढ़िया होय हावय। सबो कहिनी, मन के तीर ले निकलथे अउ नौ रस म घूमत मन म पहुंच जथे। रूपेन्द्र पटेल के नानकुन कहिनी संकलन म मया, दुलार, परेम भरे हावय। पाठक तक अपन बात पहुंचाय म सफल हावंय।
अंजू अग्रवाल
पुस्तक के नांव- राम पियारी म दुरगा जागीस
प्रकाशक- पुष्पगंधा प्रकाशन
मूल्य- 90 रुपए

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