डोल डोल के डारा पाना ,भोला के गुण गाथे।
गरज गरज के बरस बरस के,सावन जब जब आथे।
सोमवार के दिन सावन मा,फूल पान सब खोजे।
मंदिर मा भगतन जुरियाथे,संझा बिहना रोजे।
लाली दसमत स्वेत फूड़हर,केसरिया ता कोनो।
दूबी चाँउर दूध छीत के,हाथ ला जोड़े दोनो।
बम बम भोला गाथे भगतन,धरे खाँध मा काँवर।
नाचत गावत मंदिर जाके,घुमथे आँवर भाँवर।
बेल पान अउ चना दार धर,चल शिव मंदिर जाबों।
माथ नवाबों फूल चढ़ाबों ,मन चाही फल पाबों।
लोटा लोटा दूध चढ़ाबों ,लोटा लोटा पानी।
भोले बाबा हा सँवारही,सबझन के जिनगानी।
साँप गला मा नाँचे भोला, गाँजा धतुरा भाये।
भक्तन बनके हवौं शरण मा,कभू दुक्ख झन आये।
जीतेन्द्र वर्मा”खैरझिटिया”
बाल्को(कोरबा)