Categories: कविता

मँहगाई

मार डारिस हमला मँहगाई, गुनेला होगे का करबो जी ।
कइसे के जिनगी ला चलाई, गुनेला होगे का करबो जी।
माहंगी के दार चाहुंर मांहगी के तेल।
माहंगी मा जिनगी हमर बनगे हे खेल।।
साग भाजी नुन मिरचा झाड़ु साबुन बट्टा।
सपना होगे पहिरे बर नवां कपड़ा लत्ता।।
जुन्ना ला कतेक ला उजराई गुनेला होगे का करबो जी।
जोंतेन फांदेन निदेन कोड़ेन परगे अंकाल।
लुयेन जुच्छा पयरा संगी होगेन कंगाल।।
कोठी जुच्छा परे हे भाई, गुने लाहोगे का करबो जी।
. कृष्ण कुमार भारतीय .
– ग्राम -चिचोली
पो.-टेमरी, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
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