-पहली शक्ति के नाम शैलपुत्री- हिमालय के कन्या पार्वती आय।
-दूसर शक्ति के नाम ब्रह्मचारिणी- परब्रह्म परमात्मा ल साक्छात् करइया।
-तीसर शक्ति चन्द्रघंटा- चन्द्रमा जेखर घण्टा में हे।
-चौथा शक्ति कुष्माण्डा- जम्मो संसार जेकर उदर म निवास करथे।
-पांचवां शक्ति स्कंद माता- कार्तिकेय के जननी।
-छठवां शक्ति कात्यायनी- महर्षि कात्यायन के अनगिनत ले उत्पन्न होवइया।
-सातवीं शक्ति कालरात्रि- जम्मो सृष्टि के संहार करइया।
-आठवीं शक्ति महागौरी- शिवजी महाकाली कह दिस तब घुस्सा करके तप करिस अउ ब्रह्मा से गौर वर्ण के बरदान लेवइया।
-नौंवीं शक्ति- सिध्दिदात्री जम्मो दुनिया ल अणिमा, लाघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, विशित्व, कमावसायिता ये आठ रूप ले सिध्दि देवइया।
ये जम्मो स्वरूप ह सौभाग्य, सुख, समृध्दि, यश कीर्ति, भाग्यवृध्दि अउ मनोकामना ल पूरा करइया हरे। येकर पूजा उपवास, आराधना सहिच मन ल शांति प्रदान करथे। आयुर्वेद अउ दुर्गा सप्तशती कवच के रहस्यात्मक मंत्र ले प्रतीत होथे कि नव देवी के भावार्थ नव महा औषधि ले हे- हरड़, ब्राह्मी, चमसूर (धनिया जइसन हरियर पत्ता के पेड़ हरे), पेठा, अलसी, अंबलिका, नागदौना, तुलसी, शतावरी। देवी माँ के उपासक हमेशा आलस्य ल छोड़ के बढ़िया बुता म लगे रथे। केवल बनाम जपे ले मंगल होथे। रोगी के बीमारी दूरिहा भागथे त शत्रु बाधा तक लुका जथे।
छत्तीसगढ़ म चइत नवरात्रि म देवी मंदिर संग साधक मन अपन घर म जंवारा बोवत हावे। फूलवारी के हरियर रूप ल देख के भगत मन भारी मगन हो जाथे। पंचमी में माता ल शृंगार करे के परम्परा हावे ये बेरा सेउक दल बाजा संग भजन गाथें। जौन भारी मन ल भा जाथे:-
हो मइया पांचो रंग गा
पांचो रंग सोलह ओ सिंगार हो माँ
सेत-सेत तोर ककनी बंदुरिया
सेते पटा तुम्हारे
सेत हाबे तोर गल कर चुरवा
अउ गज मोतियन हारे
हो मइया…
नवरात्रि परब म कुंवारी भोज के एक ठन अनुष्ठान होते। जेन मा माता सिंगार संग कोन्हो-कोन्हो जीनिस भेंट करे जाथे। दू से दस साल के कन्या देवी मां के स्वरूप माने गेहे। देवी भागवत पुराण म अलग-अलग आयु के अनुसार देवी के नाम बताय गेहे। दू बच्छर के कुमारी, तीन के त्रिमूर्ति, चार के कल्याणी, पांच के रोहिणी, छह के कालिका, सात के चंडिका, आठ के शांभवी, नव के दुरगा, अउ दस बच्छर के कन्या ल सुभद्रा। एकरे अनुसार पूजा करे के विधान हे। अष्टमी के दिन ये कारज ल करे जाथे। इही दिन हवन पूजन करे के बाद शांति हो जाथे।
अइसन जानतेंव मैया हूमे अउ लगिन ल
सजे आतेव सोलह हो सिंगार हो मया मोर
माथे कर मुकुट भुवन छोड़वे माया मोर
वहू ल पहिर नहीं आयेव हो मया मोर।
अइसन…
नवमी के दिन जंवारा विसर्जन के अनुष्ठान होथे। सेउक दल संग ज्योत जंवारा ल निकालथे। कोन्हो-कोन्हो देवता झूपथे, त कोन्हो साकड लेथे। सांग लेवइया मन तक आगू म आके नाचथे। अउ देखनी उड़ जथे। भगत मन के यहु एकठन श्रध्दा आय। कुल मिला के ये परब आस्था, सरधा, भक्ति संग म भाईचारा, अउ एकता के संदेश दे जाथे।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
संतोषकुमार सोनकर ‘मंडल’
चौबेबांधा (राजिम)
पोस्ट-बरोण्डा,जिला-रायपुर छ.ग.