संगी हो हमर धान के खेत लहलहावत हावय अउ हमर मिहनत के फल अब हमर कोठार तहॉं ले कोठी म समाये के अगोरा देखत हावय. महामाई के सेवा हम पाछू नौ दिन ले हिरदे ले करेन, राम लीला म हमर लइका मन ला पाठ करत रहिता कुन देखेन अउ हिरदे म रामचरित मानस के सीख ला गठरी कस बांध लेहेन. आज दसेला तिहार म हम सब के मन म कलेचुप बईठे रावन ला बारे के पारी हे. आवव हम अपन खातिर, अपन परिवार अउ समाज के खातिर ये रावन के भूर्री बारन. हमर प्रदेश के खुशहाली बर अपन मिहनत गारन, अपन भीतर के मनखे ला जगा के हमर प्रदेश म होवइया चुनाव म सत के अमरित धार बोहवइया हमर माई मूड़ मन ला चुनन. जइसे हम अपन तिहार मन ला सब जुर मिल के मनाथन, तइसनेहे ये तिहार बर घलव चेत करन. देख सुन अउ समझ के अपन नेता चुनन.
संगी हो, पाछू चौमासा म हमर भाषा के उन्नती बर अड़बड़ उदीम होइस. राजभाषा आयोग ह बड़का बड़का कार्यक्रम करिस. पं.रविशंकर विश्वविद्यालय ह हमर भाषा म एम.ए. के पढ़ई चालू करिस अउ हमर लइका मन बड़ उछाह ले येमा भरती लीन. विश्वविद्यालय ह भाषा के मानकीकरन बर एक हप्ता ले गोठ बात घलो आयोजित करिस. ये सब के फल का मिलिस तउन समय म आघू आही, फेर अतका खच्चित हे कि ये सब उदीम ले हमर भाखा के गोठ घेरी बेरी समाचार म आइस तेखर ले हमर भाखा के संगें संग हमर मान घलव बाढ़िस. इही चौमासा म हमर ये गुरतुर गोठ के उदीम के बारे म घलव लोगन मन जानिस अउ हमर ये मेकराजाला के पतरिका ला झंकइया, पढ़इया बाढ़िस. हमर भाखा म सोध करइया, लेख लिखइया मन बर अब इंटरनेट म गुरतुर गोठ ह एक असल ठिकाना हो गे हे.
हम अब ये चाहत हन के गुरतुर गोठ म छत्तीसगढ़ी भाखा के महाविद्यालयीन पढ़ई अउ सोध के लइक रचना मन के संग्रह होवय. जेखर ले हमर भाखा उप्पर काम करइया हमर आघू के पीढ़ी ला पंदोली मिलय. ये खातिर आप सब मेरन ले हमर गिलौली हे के अपन कम से कम एक ठन माइ रचना ला गुरतुर गोठ म परकासित करे के अनुमति देवत भेजव. हम अपन सीमित संसाधन के संग आपके रचना ला येमा सामिल जरूर करबोन. हमर मेरन अभी सब ले बड़े समस्या रचना मन के स्कैन अउ टाईपिंग के हावय ये काम म हमला एक पाना के अंदाजन पांच रूपिया लागथे. आप मन कहूॅं अपन रचना ला कम्प्यूटर टाईप नई तो स्कैन करा के हमला भेजहू त हमर से खर्चा अउ येखर उदीम बर दउंड भाग ह बांचही जेखर ले हम लउहे लउहे गुरतुर गोठ म छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्य ला आघू ला सकबोन.
मेकराजाला म हमर साहित्य ल सुलभ कराए म हमर राजभाषा आयोग घलव बड़ योगदान दे सकत हावय. हमला भान हावय के आयोग, सरकार के खींचे डांड के भीतरेच काम कर सकत हावय, ओखर हाथ बंधाए रहिथे फेर साहित्य ला इंटरनेट म लाए खातिर एक जब्बर काम उमन कर सकत हावयं. राजभाषा आयोग ह अभी साहित्यकार मन के किताब छापे बर दस हजार रूपिया के सहजोग करत हावय, आयोग ले हम बिनती करत हावन के ये सहजोग के संगें संग आयोग उन किताब मन के साफ्ट कापी पीडीएफ नई तो टेक्स्ट रूप म मांगय अउ ओला आयोग के वेब साईट म प्रकासित कर दय. येखर से मेकराजाला म हमर भाखा के साहित्य के भंडार धीरे धीरे बाढ़त जाही.
हमर जम्मो छत्तीसगढ़िया संगी मन ला दसेला अउ देवारी तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई.
संजीव तिवारी
संपादक
निश्चित रूप से ” गुरतुर गोठ ” हर छत्तीसगढी भाखा ल दुनियॉं भर म अमरावत हावय आउ साहित्य के हर विधा ल सब ल परोसत हावय । मोला पूरा भरोसा हावय के छत्तीसगढ सरकार हर अउ राजभाखा आयोग हर सोज्झे पंदोली नइ दय भलुक पोटार के खांध म बैठार लिही ।
आदरणीय तिवारी जी,
आपके ये आलेख ल पढ के आपके विचार ल जानेन। बड़ नीक सोचे हव। पहिली ले आप जउन काम करत आवत हव, वोकर महत्तम ह खुद-बखुद उजागर होवत हे, लोगन घला समझत जावत हें। अभी नवा उदिम करे के जउन विचार मन म लाय हो, वोला जल्दी शुरू कर डरव, नेक काम म देर करना बने नइ होवय। हमर मनौती हवय।
आपके अपन
कुबेर