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कविता

मैगी के जमाना

जब ले आहे मैगी संगी, कुछु नइ सुहावत हे।
भात बासी ला छोड़ के, मैगी ला सब खावत हे।।
दू मिनट की मैगी कहिके, उही ला बनावत हे।
माई पिल्ला सबो झन, मिल बाँट के खावत हे।।
सब लइका ला प्यारा हावय, एकरे गुन ल गावत हे ।
स्कूल हो चाहे पिकनिक हो, मैगी धर के जावत हे।।
लइका हो चाहे सियान, सबला मैगी सुहावत हे ।
कोनो कोती जावत हे, पहिली मैगी बनावत हे।।
कोनो आलू प्याज डार के, त कोनो सुक्खा बनावत हे।
कोनो सूप बनावत त, कोनो सादा खावत हे।।
फरा मुठिया के नइ हे जमाना, मैगी के जमाना हे।
दू मिनट की मैगी बनाके, माइ पिल्ला ल खाना हे।।

प्रिया देवांगन “प्रियू”
पंडरिया
जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
Priyadewangan1997@gmail.com