Categories: कविता

मोबाईल हास्य कबिता

एक दिन
मे ह लेड़गा भईया ल कहेंव
सुन गा भईया
मोर घर जा
मे ह मोबाइल ल
भूला गें हंव
ओला घर ले धर के ला
ऐला सुन के
वो ह दौड़त-दौड़त
मोर घर गीस
घर के मोहाटी मा
मोर बाई ल बइठे पाईस
मोबाईल के बदला मा
मोर बाई ल धर के आईस।

हरखराम पेंदरिया
श्रीराम मंदिर रोड
महासमुन्द (छग)

आरंभ मा पढव : –
शताब्दि की चयनित कहानियों में डॉ.वर्मा की भी कहानी
पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’

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