अब के लइका मन के होथे
ऊंच पूर कद काठी।
पन नइ जानय अखरा का ये
अउ भांजे बर लाठी!
रतिहा भर म राजनीति के
होथें जबर जुवारी!
पंचपति, सरपंच पति बन
लक्ष्मीपति पुजारी!
होटल म खावब अउ मोटर म
बस चलब सुहावत हें।
राजनीति के ओट म अइसन
नगरा नाचे लागिन!
तइहा के सोये राक्वछस मन
लागत हे फेर जागिन!
पउवा बोतल कुकरा बोकरा
सौ पचास रूपिया म!
लुगरा पोलखा* घोतिया पटकू
अउ गहना-गुरिया म!
पैसा वाले मन गरीब के
नीयत घलव डोलावत हें!
नकटा बुचुवा मारे कूटे
चोर उचक्का डाकू !
लोफड़ लंपट छल परपंची
लोभी लुच्चाछ आगू!
भरे सभा म बइठे खुरसी
मच मच के गोठियाथें!
चमचा भरंय हुंका रू ऊपर
ले ताली पिटवाथें!
अपन नफा के सिरिफ गोठ ल
जानत अउ जनावत हें!
पंच कउन सरपंच कउन
जनपद जिला पंचाइत!
गांव ठाँव के हित सेती* बर
एक ठन जबर सिका इत!
नोट म बोट सके ले खातिर
घर पहली सिरवाथें!
जीत गइन तौ पांच बरिा ले
सबके मुंड़ पिरवाथें!
मरहा-खुरहा-दुबरहा के
हक ल सक ल पचावत हें!
गली गुड़ी अऊ हाट बाट म
गंजहा भंगहा घूमय!
गहना गुरिया भड़वा बरतन
के कीमत म झूमय !
मंदिर स्कूल पंचइत भवन म
जुआ सट्टा खेंलंय !
अपन सब सिरवाके लइकन
मन बर पाप सके लंय !
असली सपूत हें गिने चुने
जे गाँव के लाज बचावत हें!
आगी खाके अंगरा उगलंय
अउ उधम मचावंय घूम घूम!
चिमटी भर ओनहा कपड़ा म
इन नाचंय गावंय झूम झूम!
घर घर म टी.व्ही.टेप देख सुन
एक एक ले अनहोनी!
टूरा टनका के का कहिबे
बिगड़त हें मोटियारी नोनी!
चोंगा डब्वा तो ठौर ठौर
अनसुरहा कस बोरियावत* हें!
जेकर हाथ लगाम थमायेन
घोड़ा नइ कबूवावंय!
न काठी ले ऐंड़ लगावंय
न कोड़ा चमकावंय!
अंधवा कनवा खोरवा* लुलुवा
अउ डोकरा डोकरी के !
सुख सुविधा ल हवंय डकारत
जइसे सब पोगरी के !
अपन भितिया खदर-कुरिया*
काया कलप करावत हें!
बदनाम घलव हें नाव बिचारी
मितानिन संगवारी के !
पंचाइत अउ का सुसाइटी
स्कूल का आंगन बारी के !
कु छ सढ़वा बन कुछ हरहा* कस
मौका पाके ओसरावत* हें!
कुछ रूप रंग म बउराये
कुछ चारा चर पगुरावत हें!
बइठे जउने डारा अड़हा
निरदइ असन बोंगियावत* हें!
लखनउ दिल्लीर का कानपुर अब
खोर-गिंजरा* मन बर पारा!
जकला भकला मन रहिन कहाँ
निच्च़ट सिधवा अउ बिचारा!
राज राज म किंजर बुलके
सीख गइन दुनियादारी!
खपरा ले लेंटरहा खातिर
बेचत हावंय कोला बारी!
दू चार आना मनो लगथें
बांचे कइ नाव धरावत हें!
*हिन्दी अरथ –