ये दुनिया हे गोल तैय कुछ मत बोल
ये आधुनिक युग के जावाना
तैय झन पछताना
कान मा सुन आँखी मा देख
अपन रद्दा चुपचाप रेग।
जिन्दगी होगे सुखियार
काम बुता मा मन नईय लागे
जबले आलस्य हा डाले डेरा
जागर मा पड़गे किड़ा।
झुण्ठ बोलय पैसा कमावय
भ्रष्टाचार ला अपन व्यवसाय बनावय
लईका से लेकर सियानमन
चपरासी से लेकर नेतामन
सबो भ्रष्टाचार मा डूबे
दु पैसा के खातिर अपन ईमान ला बेचे।
यहाँ तो मिठ लबरा के वाह वाही हे
मिठ मिठ बात मा जनता लुटाये
नेता हा जनता ला, डाँ.हा मरिज ला
बनियामन ग्राहक ला, सेठ हा बनिहार ला
यहाँ तो सबो डहर लूट खोर हे
बातो बात मा सबो चोर हे।
10 रूपया के बुता करवाये
200 रूपया के बिल बनवाये
अपन ईमानदारी के सबूत
झूण्ठा रसिद दिखावे।
यहाँ तो लबरा के जेब हे मालामाल
ईमानदार के जेब हे कंगाल।
ये दुनिया हे गोल तैय कुछ मत बोल
ये आधुनिक युग के जावाना
तैय झन पछताना
कान मा सुन आँखी मा देख
अपन रद्दा चुपचाप रेग।
हेमलाल साहू
बढ़िया परयास साहू जी…
ये दुनिया हे गोल
सही बात बतायेस साहू जी आपके रचना ह बने लागिस |
आपमन ला बहूत बहूत धन्यवाद भैया हो जो आपमन हमर कविता ला पसंद करेव।