महर्षि हर भगवान गनेस से विनती करिस तब भगवान गनेस जी लिखे बर तैयार होगिन फेर काबर कि ए बुता ला बिना उठे, बिना थके दिन-रात लगातार करना रहिस हावय। जब कोनो हर लगातार काम करथे तब ओखर सरीर के ताप हर बाढ़बे करथे ए बात ला जानके महर्षि हर भगवान गनेस के सरीर मा माटी के लेप लगा दे रहिस हावय। भगवान गनेस हर बिना पानी पिये 10 दिन ले लगातार महाभारत के कथा ला लिखे हावय। जब पूरा महाभारत के कथा लिखा जाथे तब ए बुता ला करत-करत गनेस जी के सरीर के ताप हर अतका बाढ़ जाथे के माटी हर सुखा जाथे अउ गनेस जी के सरीर हा अकडे़ बर धर लेथे तब 11वां दिन महर्षि हर भगवान गनेस जी ला सुन्दर सरोवर में डुबो देथे। भादो के उजियारी पाख के चउथ के दिन लिखे के काम हर शुरू होय रहिस हावय तउन अनंत चतुर्दशी के दिन पूरा होय रहिस हावय। ए दस दिन ले महर्षि हर भगवान गनेस जी ला रिकिम-रिकिम के मेवा-मिठाई खाए बर देवय। वही समय ले ए तिथि मा माटी के भगवान गनेस जी बना के बइठारे के परंपरा के शुरूवात होय हावय। अउ हमन ए तिथि में भगवान ला रिकिम-रिकिम के मेवा-मिठाई भोग लगाथन। संगवारी हो हमन ला भगवान गनेस के यही सब गुन ला अपनाए के जरूरत हावय। अतका सहज अउ सरल होना, लइका मन ला घलाव सियान अतका महत्व देना, बिना थके परिश्रम करना, बोले के कम अउ सुने के बुता जादा करना ए जम्मों गुन हर भगवान गनेस जी ला पहली पूजा पाय के अधिकारी बनाए हावय। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर सीख ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावै। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावै।
रश्मि रामेश्वर गुप्ता
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