लिंग परिक्छन के परिनाम

”आज जम्मो समाज म लड़की मन पढ़ लिख गिन अऊ लड़का मन ले दूचार करे बर तियान हे। आज हम दूतीन बछर थे देखत आत हम। जेखर घर लड़की हे ओ बाप ह छाती फुलाय अऊ मेछा अटियाय घुमत हे। अऊ लड़का वाला ह कुकुर को कोलिहा बरोबर घिरलत हे। लड़का ल बने पढा लिखा दरे हर अऊ लड़की ल पढ़ाय बर भेद करेस त तोर लड़का बर बहु कहां ले मिलही।”
आज के जुग ह बिज्ञान के जुग आय। आज बिज्ञान के सहारा ले मनखे के कहां ले कहां पहुंच गे है। चंदा अऊ मंगल म घला मनखे मन कदम रख डरे हे। हर जिनिस के बिमारी ल जाने पर कतको किसम के नवां नवां उपकरण बिज्ञान के माध्यम ले मनखे ह बना डरे हे। कंपुटर अऊ मोबाईल ह कतको दुरिहा के मनखेल तीर-तीर म लादे हे। वईसने ढ़ंग के एक ठन उपकरण डाक्टरी के क्षेत्र म ईजाद होईस। ऐखर सहारा लेके डाक्टर मन ह महतारी के कोख के भीतरी म पलत जीव के परीक्षण करके बता दे थे के ये हा नोनी हे या बाबू। आज ले पच्चीस हजार बछर पहीली ये मशीन आज के जुग ह बिज्ञान के जुग आय। आज बिज्ञान के सहारा ले मनखे के कहां ले कहां पहुंच गे है। चंदा अऊ मंगल म घला मनखे मन कदम रख डरे हे। हर जिनिस के बिमारी ल जाने पर कतको किसम के नवां नवां उपकरण बिज्ञान के माध्यम ले मनखे ह बना डरे हे। कंपुटर अऊ मोबाईल ह कतको दुरिहा के मनखेल तीर-तीर म लादे हे। वईसने ढ़ंग के एक ठन उपकरण डाक्टरी के क्षेत्र म ईजाद होईस। ऐखर सहारा लेके डाक्टर मन ह महतारी के कोख के भीतरी म पलत जीव के परीक्षण करके बता दे थे के ये हा नोनी हे या बाबू। आज ले पच्चीस हजार बछर पहीली ये मशीन ह दुगोडिया मनखे के समाज मे आइस। अऊ मन खे मन के बुद्धि ल नीचो के रख दिस। पढ़े लिखे अऊ सभ्रांत समाज ल डाटरी क्षेत्र ह ये संदेश दे दिस के गर्भवती महिला मन के गर्भ दरमियान स्वास्थ्य परीक्षन करावव अऊ संगे संग यहु जान लव कि अवईया तुंहर लइका ह नोनी हरे ते बाबु। अऊ एक ठन बात अऊ हे। गर्भ म कोनो नानी है अऊ दाईददाला नोनी के चाहत नइ हे त ओला गर्भ के भितरीच म चातम कर दव। नोनी ल जनम ले के ये संसार म झन आवन दव। ईही ल किथे कन्या भ्रुण हत्या। पढ़े लिखे मनखे मन के मन मा ये बात ह घर कर लीस। वईसे तो मानवसमाज ह सदियों पहिली ले घर म नोनी के जनम के लेवईल अऊ जनम लेथ के बाद घलो नोनी जात ल हेय दृष्टि ले देखय। बात अऊ दादी ह तो अपना नोनी ल चाक्य पोटारय धलो नही। पढ़ाय लिखाय के घात तो बहुत दुर आय। पढ़ाय-लिखाय, खवाय पियाय, कपड़ा लत्ता बर घलो नोनी बाबु म भेद करय। सियान मन के मन ई ही धारणा रायह के लड़का ह पढ़ लिख के बंशल आगु बढ़ाई, नऊकरी करही, कलेक्टर बनही। लड़की ह का बनही, पढ़ लिख के दाईदहा के सेवा थोरहे करही। ओला तो ससुरार जा के चुलहा फुंके बर हे। मनखे मन के ये दकियानु सी धारना ह महिला वर्ग मन के ऊपर अत्याचार करे अऊ सहे के कारन बनिस। समाज ह उन्नति करत गिस अऊ लड़का व अपनभावी पीढ़ी के कर्णधार समझत गिस। नोनी ल फालतु अऊ खर्चीला जिनिस समझिस। अऊ भड़ाभड़ लड़की मन के कोख के भितरीच म हत्या करवात गिस। येखर परिणाम ह अब देखे बर मिलत हे। हर पढ़े लिखे समाज म लड़की के कमी देखे जा थे। आज के समे म स्थिति म बहुत बदलाव आ गे हे। बहु नई मिलत हे। लड़की अऊ लड़का के अनुपात म बहुत अंतर देखे बर आत हे। सौ लड़का के पाछु मात्र पचहत्तर-अस्स्ी लड़की देखे जा थे। हमर भारत वर्ष में हर साल लगभग पचहत्तर लाख लड़की ल मां के कोख में ही भरवा दे जाथे। जऊन ह घोर चिंता के विषय आय अईसे मे सौ के सौ बिहाव लईक लड़का ल मनमाफिक लडक़ी मिलना मुश्किल है। एक जबाना पहिली रिहिस जब लड़की बर दमाद खोजत बाप के नवा भंदई खिया जाय। दुतीन साल ले गांव-गांव ठोकर खाय के बद लड़का मिल जाय त टिकावन अऊ जोरन ह बाद के कनिहा ल टोर दय। बाप के खेत घर बेचा जाय। बाप ह एक ठन लड़की के बिहाव करे के बाद दुतीन सात तक कर्जा बोड़ी म ओ खरे से ती लडक़ी ल खर्चीला अऊ अपन मुड़ के बोझ समझंय। फेर सबो दिन ह एक बरोबर नई राहय। समाज ह शिक्षित होवत गिस। जुन्न बिचार धारा ल तियाग के दाई दहा ह लड़का के संगे संग लड़की मन ल पढ़ा के साक्षर अऊ संबल बनात गिन। आज जम्मो समाज म लड़की मन पढ़ लिख गिन अऊ लड़का मन ले दुचार करे बर तियार है आज हम दु ती बछर ले देखत आत हन। जेखर घर लड़की हे ओ बाप ह छाती फुलाय अऊ मेछा अटियाय घुमत हे। अऊ लड़का वाला ह कुकुर को कोलिहा बरोबर घिरलत हे। लड़का ल बने पढा लिखा दरे हर अऊ लड़की ल पढ़ाय बर भेद करेस त तोर लड़का बर बहु कहां ले मिलही। आज हमर समाज म लड़का वाला कतेक घूमत हे। फेर मन माफिक जुग जोड़ी नई जुड़त हे। त झुंझला के काहत हे। लड़की वाला मन के भाव बाढ़ गे हे। काबर नई बाढ़ ही भाव ह गा। पहिली त लड़ृकी वाला मन ल तीन आंसू रोवाय हव। अब तहूं मन रोवव तीन आंसू। समाज अऊ घर ल संतुलन बनाय रखे बर नोनी अऊ बाबू दूनों ल ये दुनिया म आवन दव। नोनी बाबू म भेद मत करव। दूनो ल पढ़ावव लिखावव। लिंग परीक्षण ल तियाग दव। लिंग परीक्षन अऊ कन्या भ्रूण के सुझाव देवाईया ल खड़े खड़े उही जगा तीन तमाचा मारव अऊ ओला ओखर औकात देखा दव।
कुरमी, तेली, लोहार, राउत, कोष्टा, कुम्हार। कहिं होवय मानुष के जात, नोनी बाबु ल दव एक दुलार। नोनी ल बोझट्टा मानव झन, कोख म नोनी ल मारव झन धरती के संतुलन ल बिगाड़व झन, इही हावय मोर पुकार। नोनी ल देवव भरपुर दुलार॥

भोजराज वर्मा
केओ वर्मा लेडिज टेलर्स
कविता नगर (मोती नगर)
बोदिया रोड़ रायपुर (छग)

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One Thought to “लिंग परिक्छन के परिनाम”

  1. sarala sharma

    Jaun des ma “matri rupen sansthita ” kahike matri shakti ke charan vandana kare jathe tihan “ling parikshan ” jabbar dukh -bhari laj ke bat aay, yeh bishay ma sabo jagruk likhaiya man la likhana chahi
    Kalam ke dhar ajamaye ke bera he, sadhuwad bhai.

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