छत्तीसगढ़ी ल सिरिफ प्रचार-प्रसार के भाखा मानथे सरकार, काम-काज अउ पढ़ई-लिखई के नहीं!
लोक सुराज के आरो ल छत्तीसगढ़ी भासा म सून अउ पढ़के मन गदगद होगे। चउक-चउक म बड़े-बड़े पोस्टर अउ पोस्टर म छत्तीसगढ़ी के हाना। रेडियो अउ टीवी म छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत। छत्तीसगढ़िया बर सबले बड़े खुसी के बात ये रहिसे के सरकार के योजना के आरो छत्तीसगढ़ी म दे जावत रिहिस हावय। फेर हमला खुसी ले जादा दुख होइसे के सरकार ह छत्तीसगढ़ी ल काम- काज अउ पढ़ई-लिखई के भासा बनाये के बजाय प्रचार-प्रसार के भासा समझत हाबे। छत्तीसगढ़ राज बने 14 बछर ले आगर होगे फेर छत्तीसगढ़ी खातिर ठोस बुता अब तक नइ होय हाबे। सात साल बाद आयोग बनिस वहू कोलवा। स्कूल म पाठ समोखिस, वहू ल एक्का-दूक्का। जब तक स्कूल म पढ़ई अउ सरकारी कामकाज के भासा छत्तीसगढ़ी ह नइ बनही तब तक इही समझे जाही के हमला सरकार ह भुलवार-भुलवार के राखत हाबे।
छत्तीसगढ़ के राजभासा छत्तीसगढ़ी ल सरकार ह सिरिफ लोगन ल मोहाय अउ बुद्धू बनाय के भाखा मानथे तइसे लागथे। काबर के ओमन ल जब भी इहां के मूल छत्तीसगढ़िया तक कोनो योजना के आरो करे बर रिथे तव छत्तीसगढ़ी के उपयोग करथे। अऊ सरकार ल अजग तको हागे हवय चुनई के बखत के। दाई हो ददा हो मुहिच ल वोट देहू। मय फलाना करहू, ढेकाना कर देहू। इही पैतरा अब सरकार म आये के बाद मुखिया ह अपनावत हाबे लोक सुराज के प्रचार-प्रसार म।
राज सरकार ह लोक सुराज चलाथे जेमा मंत्री अउ अफसर के संग सबो विभाग के अफसर
करमचारी मन चौपाल म जुरियाथे। लोगन सो मेल मुलाकात करथे। कतकोन समस्या के तुरते समाधान तको निकाल देथे। ये बात अलग हे के सरकार ह जोन ल नइ करना चाहे वोला सबो झिन सामरथ रिथे तभो ले आवेदन मांग के भुलवार देथे। ये सरकारे के रिकार्ड बताथे के जिहां-जिहां लोक सुराज के आयोजन होय हाबे हजारों आवेदन ल सरकार के करमचारी मन ह बोरा म भर के लाने हाबे।
लोक सुराज ल सफल बनाये अउ जन-जन तक जानकारी बगराये बर सबले आगू सासन-प्रसासन कोति ले निर्देस रिहिस हाबे के प्रचार के सबो माध्यम म छत्तीसगढ़ी भासा के उपयोग होवय। अइसने होइस घलोक। सहर के गली-गली म बड़का-बड़का होर्डिंग लगिस जेमा लिखाय रिहिस-
‘तुंहर सरकार-तुंहरे द्वार’
‘हमन तुंहर गांव-घर आबो। सुख-दुख ला गोठियाबो।।’
अइसन छत्तीसगढ़ी के आखर ल देख के आन राज के मन एक नजर म ये समझे लागिस होही के अब इहां छत्तीसगढ़ी म सरी कामकाज होवत होही इही पाके सरकार के बेनर पोस्टर म छत्तीसगढ़ी आखर दिखत हाबे। ये सरकार डहर ले जबर धोखा आय छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया बर। खाय के दांत आन अउ देखाय के दांत आन हवय तइसे बरोबर। परचार करथे छत्तीसगढ़ी म अउ सरकारी काम-काज होथे आन भासा!
येहा भासा भर के झगरा नोहय। बात छत्तीसगढ़ के राजभासा के स्वाभिमान के हवय। हिन्दी हमर राष्ट्रभाषा हे जेकर हरेक हिन्दुस्तानी ल अभिमान हाबे। हम अभिमान अउ स्वाभिमान के फरक ल घलोक जानथन। जब छत्तीसगढ़ी भासा खातिर सरकार के अइसने मंसा रिहिस तव ओमन छत्तीसगढ़ी ल छत्तीसगढ़ के राजभासा काबर बनइ होही? चलो जइसन भी होय राजभासा बनगे तव ओकर मान-सम्मान होना तो चाही।
जब ले छत्तीसगढ़ ह अलग राज बने हाबे तब ले आन-आन मनके राज चलत हाबे। चाहे वोहा राज के बड़का अफसर होवय या फेर कारखाना-कंपनी अउ बयपारी। सबो म आन भासा वाले मन जमे हावय। तव सरकार ह तको छत्तीसगढ़ी ल सरकारी कामकाज के भाखा नइ बनाना चाहत हाबे।
छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग के सुर आन हाबे। ओला ये मामला ले अलग राखथन काबर के ओकर तो अब चलती नइये। गुनी-गियानी मन सोचव जब सरकार के मुखिया के एक आदेस म लोक सुराज के सुर छत्तीसगढ़ी मय होगे तव अइसन आदेस का सबर दिन बर जारी नइ हो सकही? सरकार आदेस दिस अउ बेनर-पोस्टर ह छत्तीसगढ़ी के हाना अउ गीत-गम्मत ले पट्टागे। जनसंपर्क विभाग ह प्रचार के आडियो-विडियो बनवाइस तेनो ह पूरा छत्तीसगढ़ी म रिहिस हावय। जोन ह रेडियो अउ टीवी म महीना भर ले बाजत रिहिस हाबे। संगी मन देखे-सुने तको होही। राजधानी रायपुर के घातेच भीड़-भड़क्का वाले ठउर जयस्तंभ, शारदा चौक, फाफाडीह चौक अउ शास्त्री चौक के अलावा आन जिला के चउक मन के ट्राफिक सिग्नल म छत्तीसगढ़ी भासा म लोक सुराज अभियान के गीत-संगीत, रेडियो जिंगल्स चलत रिहिसे। अइसने टॉकिज मन म तको अभियान ले जूरे फिलिम छत्तीसगढ़ी भासा म देखात रिहिन हाबे। छत्तीसगढ़ी जिंगल्स आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र के संगे-संग एफ.एम. रेडियो चैनल मन म तको सुने बर मिलत रिहिस हावय।
गांव अउ सहर ल तो छोड़ राज के बड़का रेल्वे स्टेसन म तको एल.सी.डी. ले लोक सुराज
अभियान के संदेस छत्तीसगढ़ी म प्रसारित करे जावत रिहिस हाबे। राज के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह लोक सुराज अभियान के प्रचार-प्रसार म लगे जनसम्पर्क विभाग के कारज के बड़ई करे हाबे के ओमन पहली पइत छत्तीसगढ़ी अउ आन आंचलिक भासा के उपयोग करिन। अऊ विभाग ह तको अपने मुंह म अपने महिमा गावत हाबे।
अच्छा बात ये होइसे के कम से कम एक ठिन विभाग ह तो छत्तीसगढ़ी कोति लोरघिस। अइसन सुघ्घर कारज के बर हमू मन जनसंपर्क विभाग के गुनगान करतेन अगर विभाग ह सरकार के हिस्सा नइ होतिस। ओकर कारज ल हिन तको नइ सकन काबर के छत्तीसगढ़ी के ऊरउती बर बुता होय हाबे अउ जनसंपर्क विभाग के मुखिया ह राज के करताधरता आए। छत्तीसगढ़ी ल प्रचार-प्रसार के भासा बनाये खातिर जनसंपर्क विभाग के जय जय होवय। आगू घलोक छत्तीसगढ़ी के बड़वार बर विभाग रही इही आसा करबोन।
– जयंत साहू
ग्राम-डूण्डा, सेजबहार रायपुर
सिरतोन कहे हस ग।।।ओट के राजनीती छत्तीस गढ़ी म बाकि आन भासा मा ये छत्तीस गढ़ी के साथ खिलवाड़ आय
सिरतोन गोठ करेव जयंत भैया…..हाथी के डसन्ट खाय के अलग अउ दिखाय के अलग होथे
सिरतोन गोठ करेव जयंत भैया…..हाथी के दांत खाय के अलग अउ दिखाय के अलग होथे
प्रजातंत्र म जनता हर सरकार ए । जनता ल जागना परही तभे सुराज आही । लोक सुराज अभियान म महूं हर देखे हौं कि जनता हर खुदे आघू हो के अपन घर म शौचालय बनाय बर आवत हे औ वोला 12000 रुपिया मिलत हे । समाज ल जगाय बर तोला अउ मोला अघुवाय बर परही बाबू तभे समाज हर तरक्की करही । रहिस बात हमर छ्त्तीसगढी के एला रानी बने ले कोन रोकही ग ? सबो नेता मन तो छ्त्तीसगढी म गोठियावत हें, लोक सुराज तो अभी आइस हावय फेर छ्त्तीसगढ राजभाषा के माध्यम से भारी प्रचार – प्रसार होवत हे । हर आदमी छत्तीसगढी बोलत हे , लिखत हे, पढत हे । राजभाषा के जौन अध्यक्ष रहिन हें पं. दानेश्वर शर्मा, वोमन तो एही संदेश देहे हावयँ कि ” छ्त्तीसगढी बोलव, छ्त्तीसगढी लिखव अउ छ्त्तीसगढी पढव ।”