घर-घर ले अब सोर सुनाथे वंदे मातरम
लइका-लइका अलख जगाथें वंदे मातरम…
देश के पुरवाही म घुरगे वंदे मातरम
सांस-सांस म आस जगाथे वंदे मातरम
रग-रग म तब जोश जगाथे वंदे मातरम….
उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम मिलके गाथें
कहूं बिपत आये म सब खांध मिलाथें
तब तोर-मोर के भेद भुलाथे वंदे मातरम….
हितवा खातिर मया लुटाथे वंदे मातरम
बैरी बर फेर रार मचाथे वंदे मातरम
अरे पाक-चीन के छाती दरकाथे वंदे मातरम…
सुवा-ददरिया-करमा धुन म वंदे मातरम
भोजली अउ गौरा म सुनथन वंदे मातरम
तब देश के खातिर चेत जगाथे वंदे मातरम…
सुशील भोले
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