वाह रे चुनाव तोर बुता जतिच नाव।
जब ले तंय आए हच,होगे काँव काँव।
भाई संग भाई ल तंय हा,लड़वा डरे
जनम भर के मित मितानी,छिन भर म मेंट डरे।
जेती देखबे उहि कोती हाबय हांव हांव।वाह रे चुनाव———–
छल करे अइसे सबला,बनादेच लबरा
गैरि कस मता डरे,पारा पारा झगरा।
काट डरे मया रुख कांहाँ मिलही छांव।वाह रे चुनाव——–
निसरमी बना डरे सब ला,भिखारी
घुमा डरे हांथ जोरे ए दुवारी वो दुवारी।
खियाजहि मांथा घलो परत परत पांव।वाह रे चुनाव———
डोकरी दाई के फरमाइस,लुगरा चाही उंचहा
डोकरा बबा खाहौं कथे ,पिहुँ ठंडा चहा।
हरियर हरियर नोट अउ आई बी के पाव।वह रे चुनाव——
कोनो कथे वोट देवाहुं,कोनो कथे काटहुँ
मोरे घर उतरवा देबे घरो घर बाटहुँ।
दोगला मन सीख डरे हेँ अलकरहा दांव।वाह रे चुनाव—-
चोवा राम वर्मा”बादल”
भैइया वर्मा जी , भगवान कसम आपके कविता हा कुसियार ले भी जादा गुरतुर हेवे जी /