नेता के गोठ
नेता ह अड़जंग भोगाय हे,
घुरवा कस बेशरम छतराय हे I
किसान मन के लहू चूस के,
येदे कस के बौराय हे I
देख के मजदूर अऊ किसान ह,
मरत ले मुरझाय हे I
उज्जर उज्जर कुरता पहिन के,
दाग ल घलो छुपाय हे I
नेता ह अड़जंग भोगाय हे I
नेतागिरी अऊ दादागिरी करके,
लोगन ल गोड़ तरी दबाय हे I
जात अऊ पात में बाटके,
भाई ल भाई से लड़ाय हे I
चापलूसी करत बाबू अफसर ह,
गजब के पोट्ठाय हे I
अब तो कुछ करही कईके,
बाट जोहत जनता ह,
पीछू पीछू लुलवाय हे I
नेता काबर बनायेन कईके,
मूह ल ओथराय हे I
बेरोजगारी अऊ भुखमरी ल,
इही नेता ह उपजाय हे I
सोचत सोचत विजेंद्र ह,
बड़ घलो भरमाय हे I
नेता ह अड़जंग भोगाय हे I
नेता ह अड़जंग भोगाय हे I
तिहार के बाद
ऐदे तिहार ह घलो सिरागे,
आनी बानी के जिनिस बने रहिस
उहू ह बटागे I
जुन्ना जुन्ना कुरता पेंठ ह,
फ़रिया बन के फेकागे I
झुमरत रहिस मनखे मन,
तेनो ह नदागे I
लइका लोग के मुडी कान ले,
गुलाल ह उड़ागे I
गाँव गली सुन्ना करके,
लोगन मन कहा लुकागे I
बाजत रहिस नगारा ह,
उहू ह कहा धरागे I
कोतवाल के मुनादी परिस,
त चेपटी ह कहा भगागे I
काबर अईसन तिहार आईस कईके,
दरुवा मन रिसागे I
भारी पड़ीस दारू मुरगा ह,
कईके खिसा ह चिरागे I
ऐदे तिहार ह घलो सिरागे I
ऐदे तिहार ह घलो सिरागे I
करिया जहर
जम्मो कारखाना ह,
करिया जहर उगलत हे I
अजगर कस बैठ के,
गाँव ल लिलत हे I
धान के कटोरा ह संगी,
अपन हालत में रोवत हे I
ये देख के दुर्दशा,
महू ल रोना आथे I
पर का कर सकहूँ ,
कहिके मन ह भरमाथे I
भूईयां के पीड़ा ल,
कोई नई समझे I
समझैया अड़जंग किसान ह,
पीड़ा ल भुलागे I
सोचत सोचत इहू,
किसान मन सिरागे I
टेटकू,बिसरू,समारू ह,
पीथे त अटीयाथे I
अऊ कुछु बोलबे त,
महू ल बिजराथे I
ये सब देख के रोना आथे,
पर का कर सकहू कईके,
मन ह भरमाथे I
फागुन में
फागुन ह रंग बिरंगा,
मऊसम लेके आथे I
खेत खार म सरसों के,
पिवरा पिवरा फूल लहलहाथे I
पेड़ म नवा नवा,
कोवची कोवची पाना छतराथे I
फाग के संग नगारा के,
गुदुम गुदुम बने सुहाथे I
परसा के लाली फुल,
फागुन के सुरता दिलाथे I
कोईली के कुहकई ह,
नवा बिहान असन लागथे I
मनखे मन घलो अबड़,
रंग गुलाल उड़ाथे I
चिरई चिरगुन झुमर झुमर के,
फागुन म मौज मनाथे I
फागुन ह रंग बिरंगा,
मऊसम लेके आथे I
विजेंद्र कुमार वर्मा
विजेंद्र कुमार वर्मा
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