श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – मया धन

मितान हम-तुम लकठा जातेन
दुख-सुख बाँट के जुड़ा जातेन।
दिन भर किंजर-बूल के संगी
एक खोंधरा मा बने आ जातेन।
जुच्छा मा भरे-भरे लगतिस
गुरतुर गोठ के धन पा जातेन।
मनखे के आतिस काम बने
अइसन मया-धन कमा जातेन।
गाँव के, भुइयां के, माटी के
बिजहा-धान-कस गँवा जातेन।

लाला जगदलपुरी

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