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गोठ बात

संगी मन संग अपन गोठ-बात

संगी मन ला जोहार,
जब हम अपन नेट संगी मन मेर सुनता-सलाह करके 2 अक्‍टूबर 2008 ले गुरतुर गोठ के बाना उंचाए रहेन त हमर सोंच रहिस हावय के येला पतरिका के रूप देबोन, चाहे त सरलग नहीं त एक-दू दिन के आड़ म, अलग-अलग विधा के माला गूंथत। …. फेर बेरा के कमी अउ रचना मन ल टाईप करे बर सहयोगी नई मिले के सेती हम येला छिर्रा संचालित करे लागेन। 
पाछू कई साल ले नेट म बिलमे रहे ले हमला ये बात के अभास हावय के संगी मन पहिली-पहल हमर गुरतुर गोठ छत्‍तीसगढ़ी ला इंटरनेट मा देख के अतिउत्‍साहित होंथें जउन हा समे के संगें-संग उतार म आ जाथे। आप जम्‍मे संगी मन मेर मोर बिनती हावय कि अपन उत्‍साह म कमी आन झन देवव आपमन के मया के गोठ अउ बोली के पंदोली देहे ले हम येला सरलग चलावत रहिबोन। परसतुति करे के रूप चाहे जइसे रहय, हमर भाखा के साहित्‍य ला सुलभ करे के उदीम म हम लगे रहिबोन। आपमन के अपन भाखा बर छलछलावत मया अइसनेहे छलकत रहय. आघू दिनन ले हम अपन भाखा के ये चौपाल मा अलग-अलग विधा के रचना संग  फेर पतरिका के सरूप देहे के उदीम करबोन। … तब-तकले चिटिक हमर परकासन बंद रहिही।

छिमा सहित.

8 replies on “संगी मन संग अपन गोठ-बात”

पतरिका के सरूप देहे के उदीम करे बर छुट्टी मंजुर करत हन। फ़ेर जियादा बेर झन करहू। 🙂

ललित शर्मा
अभनपुरिहा

संजीव भाई.जोहार.
मोर डहर ले कौनो उदीम नई हो सके हे..पर अब नेट मेग्जिन बार मैं का सहयोग कर सकत हव ..बताए मा सकोच जहां करिहा.

हम तो जब भी इहां आएन कुछ न कुछ बढि़या पाएन.

घर के जोगी जोगड़ा,आन गाँव के संत
संजीव भाई ! आपके गोठ – बात पढ़ के यही मुहावरा के सुरता आ गे.इन्टरनेट मा एक्के ठन ठियाँ रहिस जिहां अपन गुरतुर भासा मा लोक-कला ,लोक-संस्कृति,लोक-कलाकार ,लोक-साहित के अलावा छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी के बारे मा जाने-सुने बर मिलत रहिस.गुरतुर गोठ मा आपके अउ आपके संगी मन के मेहनत दीखत हे.आपके ७७ फालोवर मन से अपील हे के ये बारे मा जरुर मनन करें.
जिहां अंग्रेजी अउ हिंदी के बात रथे,हमन अंग्रेजी डहर झपाथन.इहाँ हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी के बात हे ,छत्तीसगढ़ी मा रूचि कम दीखत हे.हिंदी हमर राज-भासा हे ,एखर उन्नति बर सबो ला काम करनाच हे.फेर छत्तीसगढ़ी घला हमर मातृभासा हे.एखरो करज चुकाना परिही.
आपमन कहत हौ, आने वाला समय मा पतरिका के रूप मा परकासित करे जाही.का फायदा ? जब पढ़इया के संख्या कम हे.एकर बर मोर बिचार मा छत्तीसगढ़ के अलग-अलग गाँव,क़स्बा,तहसील अउ जिला मा छत्तीसगढ़ के ब्लागर मन का कार्य-शाला के आयोजन कर के( खास करके नवा पीढ़ी ला जेन मन इन्टरनेट ला बने असन जानथे) जागरुक करे के अभियान चलाना चाहिए.
वइसे देखे जाय तो छत्तीसगढ़ मा जागरुक ब्लागर मन के कमी घला नइ हे.छत्तीसगढ़ के बाहिर के ब्लाग मन मा नियमित अपन बिचार भेजत हें.तभे तो बिचार आथे-“घर के जोगी जोगड़ा,आन गाँव के संत”

साहित्य निकेतन कार्यशाला,नई दिल्ली डहर ले “श्रेष्ठ क्षेत्रीय लेखन” बर “सारस्वत-सम्मान” के बधाई.

chhatisgarhi ye patrika ma puara chhattisgarhi ha sama jaye …..gada-gada badhi he bhaiya aap la ….

SHARAD CHANDRA BEHARsays:

मैं तो एला पढ़ के अडबड खुश होंयहँ.

ASHWANI KUMAR SAHUsays:

JAMMO CHHATTISGARHIYA BHAI MAN LA MOR DAHAR LE JOHAR HE, JAB LE MOLA MALUM HOIS HAVE TAB LE ROJ MAIHA TUNHAR MAN KE LEKH LA PADHAT RAHITHO, BAD SUGHAR LAGIS JAB MAIHA JANEV HAMAR CHHATTISGARHIYA MAN BAR AKAR LE BADE AU KA HO SAKAT HE. AISNE HAMAR BAANI AU BHAKHA LA SANJOYE RAHIHU. JAI-JOHAR.

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