- अकती के तिहार आगे
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य : सेल्फी कथा
- सिंगारपुर के माँवली दाई
- वृत्तांत- (2) पंग पंगावत हे रथिया : भुवनदास कोशरिया
- कबिता : नवा तरक्की कब आवे हमर दुवारी
- लछनी काकी
- देवारी तिहार संग स्वच्छता तिहार
- तीजा लेवाय बर आही
- दू ठन गीत रोला छंद अउ कुण्डलियां छंद म
- अक्षय तृतीया
- राजागुरु बालकदास : छत्तीसगढ़ गवाही हे
- आनी बानी : 14 भाषा के कविता के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
- कबिता : होली के रंग म
- उज्ज्वला योजना म अभी तक 6.40 लाख गरीब परिवार के महिला मन ल निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन
- अभी के समें अउ साहितकार
- आगे चुनई तिहार
- जड़कला मा करव योग रहव निरोग
- बी.आर.वर्मा द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन
- उ-ऊ छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोश
- छन्द के छ : रोला छन्द
- छत्तीसगढ़ी साहित्य में काव्य शिल्प-छंद
- सुरता चंदैनी गोंदा के
- भाव के भूखे भगवान – नान्हे कहिनी
- कका के घर : छत्तीसगढ़ी उपन्यास
- नंदावत पुतरा-पुतरी – सुधा वर्मा
- सावन के बरखा
- जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया” के दोहा : नसा
- चँदेनी के माँग में फागुन: पुरुषोत्तम अनासक्त
- छत्तीसगढ़ी के सरूप
- व्यंग्य : बड़का कोन
- मानस मा प्रयाग
- बेरोजगारी के पीरा
- मया के दीया
- जिनगी के का भरोसा
- नियाव के जीत
- दमांद बाबू : कबिता
- रेमटा टुरा के करामात
- कबिता : मोर अंगना मा बसंत आगे ना
- अपन रद्दा ल बनाबो
- सेवा गीत : कोयली बोलथे
- सरद्धा अउ सराद्ध
- तन मन होगय चंगा
- मारबो फेर रोवन नह दन: समरथ गँवइहा
- लोककथा :असली गहना
- दाई अउ बबा के वेलेन्टाइन डे – कहिनी
- रीतु बसंत के अवई ह अंतस में मदरस घोरथे
- कबिता : बसंत गीत
- छत्तीसगढ़ी लोककथा : राजा के मया
- मोर भाखा अङबङ गुरतुर हे
- छत्तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा
- बिकास के बदचाल म होली होवथे बदहाल
- जरत रइथौं (गजल)
- मया करबे त करले अउ आन कविता : सोनु नेताम “माया”
- छत्तीसगढ़ी कविता
- कबिता : बेटी मन अगुवागे
- छत्तीसगढ़ी गज़ल के कुशल शिल्पी: मुकुन्द कौशल
- वाह रे तै तो मनखे (रोला छंद)
- मुक्का उपास
- बोनस के फर
- रंग: तीरथराम गढ़ेवाल के कविता
- हरमुनिया – मंगत रविन्द्र के कहिनी
- छत्तीसगढ़ी गोठियाय बर लजावत हे
- कईसन कब झटका लग जही…..
- तुलसीदास
- बोधन राम निषाद राज के तीन छत्तीसगढ़ी गीत
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : मितानी
- पईसा म पहिचान हे
- छत्तीसगढ़ के बेटी कौसिल्या
- जयंत साहू के कहिनी : मनटोरा
- व्यंग्य : कलम
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल सुरूज ला ढि़बरी देखाए देबे अउ मर जवान, मर किसान
- गुरतुर गोठ : छत्तीसगढी
- कल्चर बदल गे
- ररुहा सपनाये …….
- का जनी कब तक रही पानी सगा
- सुरता: हृदय सिंह चौहान
- गीत : जिनगी के गाड़ा
- येदे पटवारी ला फेर मार परे हे काबर कि रावन नई जरे हे
- अंगरेजी नवा साल!!
- नरसिंह दास के सिव के बरात
- गोरसी
- छत्तीसगढ़ी कहिनी किताब : गुलाब लच्छी
- सार छंद : पूछत हे जिनगानी
- अनुवाद
- आगे हरेली तिहार
- आल्हा छंद : भागजानी घर बेटी होथे
- चिकित्सा विज्ञान अउ अभियांत्रिकी विज्ञान के हिंदी म पुस्तक प्रकाशित करे के जरूरत : श्री टंडन
- मनखे बन के बता : कबिता
- सोसन अउ कानून (कबिता ) : सुशील भोले
- गऊ रक्छक : नान्हे कहिनी
- किसान के पीरा
- अइसन दिन आये हे
- हिरदे जुडा ले आजा मोर गांव रे : डॉ. विनय कुमार पाठक के गीत
- कमरछठ कहानी : देरानी-जेठानी
- गज़ल : छत्तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले
- गीत – बाँसुरिया के तान अउ सूना लागे घर अँगना
- कभू तो गुंगवाही
- आठे कन्हैया
- पांच बछरिया गनपति
- मोर छत्तीसगढ़ के किसान