- हतास जिनगानी : नान्हे कहिनी
- उठ जा बाबु आंखी खोल
- गुरू अउ सिस्य के संबंध
- श्रद्धांजलि – गीत संत: डॉ. विमल कुमार पाठक
- सुरता सुशील यदु
- किरीट सवैया : पीतर
- पंडित शुकलाल पाण्डेय : छत्तीसगढ़ गौरव
- आज नारी हर महान होगे
- कहिनी : सिद्धू चोर
- बियंग : करजा के परकार
- छत्तीसगढ़ी नवगीत
- माटी के मया सियान मन के सीख
- अब के गुरुजी
- कबिता : होरी के उमंग नोनी……
- दारू बंदी के रद्दा अब चातर होवत हे
- पंचायती राज के पंदरा अगस्त
- जसगीत अउ छ्त्तीसगढ – दीपक शर्मा
- बरीवाला के कहिनी : बंटवारा
- भारत माँ के दुलौरिन बेटी
- मितानी के गांठ – कहिनी
- रेमटा टुरा – २ चिपरिन के मही
- परम्परा : छत्तीसगढ़ी म महामाई के आरती
- जड़कला मा करव योग रहव निरोग
- मरनी भात
- मोर कुकरा कलगी वाला हे ( गीत )
- माटी माथा के चंदन
- उरमाल म मयारू तोर मुंह ल पोंछव उरमाल म
- पांच बछरिया गनपति
- माफी के किम्मत
- सरकारी स्कूल ले ही देश ल मिले हे कई महान विभूती : डॉ. रमन सिंह
- माटी मोर मितान
- कका के बिहाव : सार-छंद
- वाह रे मनखे के मन
- कविता: बराती
- जरत रइथौं (गजल)
- सात हायकू सावन के
- नवा बछर के नवा उमंग
- चिन्हारी- नरवा-गरूवा-घुरवा-बारी
- तीन छत्तीसगढ़ी गज़ल
- सोनाखान के सोन-शहीद बीर नारायण सिंह
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय
- छत्तीसगढ़ी गज़ल
- दोहा छंद म गीत
- छोटे देवारी के खुशी भारी : देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर
- बरसा गीत
- गरीबनवाज ला गरीब के पाती
- व्यंग्य : नावा खोज
- जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव-कृषि मेला ले बनिस छत्तीसगढ़ के पहिचान
- छत्तीसगढ़ी लोककथा : राजा के मया
- लइका बर खसरा अउ रुबैला टीका
- दुसरो के बाढ़ ला देखना चाही : सियान मन के सीख
- ओनहारी-सियारी
- ग़ज़ल : गुलेल
- मोर महतारी
- छत्तीसगढ़ के बासी चटनी
- सुरता गजानंद परसाद देवांगन
- वृत्तांत (10) : जिनगी ह पानी के, फोटका ये फोटका
- छत्तीसगढ़ी नवगीत : पछतावत हन
- दारू के गोठ
- सुकारो दाई
- सुकवि बुधराम यादव के सरस कविता संग्रह ”गॉंव कहॉं सोरियावत हें” गुरतुर गोठ म लउहे
- भगवान संग नता-रिस्ता- छत्तीसगढ़ के खास पहिचान आय
- नवगीत : अगर न होतेन हम
- मंदझाला
- संत मन के आशीर्वाद ले साकार होही स्वच्छ-स्वस्थ अऊ विकसित छत्तीसगढ़ के सपना : डॉ. रमन सिंह
- पर्यटन गतिविधियों ल बढ़ावा देहे प्रदेश म लउहे उदीम करे जाही
- कुँआ-तरिया मा जलदेवती माता के निवास होथे
- जनदर्शन म मुख्यमंत्री ले 1800 ले जादा मनखे मन करिन मुलाकात
- छत्तीसगढ़ी भाषा का मानकीकरण : कुछ विचार
- छत्तीसगढ़ी परिम्परिक लोक धुन छेरछेरा पुुन्नी के गीत
- वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे
- अकती के तिहार
- असल रावन कोन
- घाम घरी आगे – कबिता
- छत्तीसगढ़ी फिलिम अउ संस्कृति
- रात कइसे बीतिस
- सगा आवत हे
- छत्तीसगढ़िया कबि कलाकार
- गुरतुर बोली बोलव
- छत्तीसगढ़ के जन-कवि स्व.कोदूराम “दलित “के दोहा
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
- व्यंग्य : ममा दाई के मुहुं म मोबाइल
- छत्तीसगढ़िया मन जागव जी
- गॉंव कहॉं सोरियावत हे : अंखमुंदा भागत हें
- चल रे चल संगी चल
- नान्हे कहिनी – सवाल
- गांव होवय के देश सबो के आय
- बाबू जगजीवनराम अऊ सामाजिक समरसता : 5 अप्रैल जन्म-दिवस
- हाईकू
- पंचलाईट
- हांसत हे सोनहा धान के बाली ह
- गंगार : नान्हें कहिनी
- समारू कका आई पी एल मैच के दिवाना
- भुइंया के भगवान बर एक अऊ भागीरथ चाही
- जानव इतिहास के वो पांच कठोर प्रताड़ना, जउन ल महिला मन झेलिन : मशीनी अनुवाद
- छत्तीसगढ़ी के सरूप
- खिल खिलाके तोर मुस्काई
- नौ बछर के छत्तीसगढ़
- नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल
- आल्हा छंद : भागजानी घर बेटी होथे