- बरखा गीत
- बी.आर.वर्मा द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन
- बिकास के नाव म बिनास ल नेवता
- छत्तीसगढ़ के तीज तिहार- मड़ई मेला
- नइ आवै : देवीप्रसाद वर्मा ‘बच्चू जाँजगिरी’ के गीत
- रामनौमी तिहार के बेरा म छत्तिसगढ़ में श्रीराम
- गीत : मउहा बिने ल जाबो
- पानी हे जिंदगानी
- बसंत आगे रे संगवारी
- सिरिफ नौ दिन के बगुला भगत
- संसो झन कर गोरी
- देवारी बिसेस : हमर पुरखा के चिनहा ल बचावव ग
- शिवशंकर के सावन सम्मार
- श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – धन-पसु
- हमर पूंजी
- रोवा डारिन रियो म
- कचरा कहां हे
- गजल : कतको हे
- नशा : कविता
- कारतिक महीना के महिमा
- बेटी मन
- सेठ घर के नेवता : कहिनी
- हमर घरे मा हावय दवई
- पान के मेम
- बिलासपुर म जिला रोजगार अउ स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र मं प्लेसमेंट कैम्प 08 मार्च को : 400 पद
- छत्तीसगढ़ म होही ‘पंजाबी अकादमी‘ के स्थापना : डॉ. रमन सिंह
- बिहाव म खवाव बोरे बासी
- महतारी के मया
- कहिनी – ऊलांडबाटी खेले के जुगाड़
- गीत – जागो हिन्दुस्तान
- बिधना के लिखना
- सीला बरहिन नान्हें कहिनी – सत्यभामा आड़िल
- नंदावत हे लोककला, चेत करइया नई हे…
- बंटवारा
- सन्त रविदास जयन्ती माघी पूर्णिमा 10 फरवरी
- लोक भाखा के सामरथ : छत्तीासगढ़ी म प्रेमचंद के कहिनी
- तैं कहाँ चले संगवारी
- घाम घरी आगे – कबिता
- फाग गीत – होली हे
- दुसरो के बाढ़ ला देखना चाही : सियान मन के सीख
- जनता जनारदन
- अंग्रेजी के दबदबे के बीच छत्तीसगढ़ी की जगह
- साहित्य हरे अंधरा के तसमा
- कका के बिहाव : सार-छंद
- रूख तरी आवव
- नान्हे कहानी – सुगसुगहा
- इंडियन एयर फोर्स में सुप्रीटेंडेंट (स्टोर) व स्टोर कीपर पदों के लिए आवेदन आमंत्रित
- नारी हे जग में महान
- विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता
- तिरंगा कब ऊंच होही ?
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 2 : अरुण कुमार निगम
- प्रेम रंग
- सोंच समझ के चुनव सियान
- पुस्तक समीक्छा : धनबहार के छांव म
- दिन आ गे धान मिसाइ के
- जांजगीर-चांपा : ग्रामीण बेरोजगार मन ल डेयरी काम मं मिलही छह दिन के निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण
- मोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : मातर जागंय
- मन के दीया ल बार
- छत्तीसगढ़ी गीत नंदावत हे
- दाई अउ बबा के वेलेन्टाइन डे – कहिनी
- कहानी : रेलवे टईम टेबुल के भोरहा
- फिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
- छत्तीसगढ़ी भाषा म बाल-साहित्य लेखन के संभावना अउ संदर्भ
- सरकारी इसकूल
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के छठवां प्रांतीय सम्मेलन
- छत्तीसगढ़ी गज़ल – जंगल ही जीवन है
- कबिता : होरी के बजे नंगारा हे
- चटनी आमा के – कबिता
- भुंइया के भगवान
- गॉंव कहॉं सोरियाव हे : गॉंव रहे ले दुनिया रइही – डॉ. चितरंजन कर
- पढ़व, समझव अउ करव गियान के गोठ -राघवेन्द्र अग्रवाल
- जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लोकभाषा विशेषांक : छत्तीसगढ़ी
- बहुरिया – कहिनी
- छत्तीसगढ़ के नारी
- कारी, कुरसी अउ कालाधन संग दस कबिता
- ग़ज़ल : गुलेल
- कोउ नृप होउ, हमहि …
- छत्तीसगढ़िया भाव जगाए मं, काबर लजाथन?
- चौपाई छंद – सर्दी आई
- तीजा नई जावंव
- देखो फुलगे, चंदइनी गोंदा फुलगे
- मया बर हर दिन ‘वेलेन्टाइन डे’ होथे
- मेला मडई
- ददा
- छत्तीसगढ़ के वीर बेटा – आल्हा छंद
- बालदिवस : मया करइया कका नेहरु
- धरसींवा के शिव मन्दिर
- बेटी ल झन मारव : विजेंद्र वर्मा अनजान
- अइसन दिन आये हे
- अभी के समें अउ साहितकार
- छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ देशबन्धु
- जन आन्दोलन के गरेर
- बसे हो माया मोरो नैन
- जिनगी के रद्दा
- तपत कुरु भइ तपत कुरु
- छत्तीसगढ़िया
- मोर गाँव ले गँवई गँवागे
- लीम चउरा के पथरा
- दोहा
- पुण्य सकेले के दिन आय अक्ती