- बरी-बिजौरी मा लुकाय बिग्यान
- दसवा गिरहा दमांद
- दू आखर …..
- मेला घुमाई दे
- छत्तीसगढ़ी तांका
- लोक कथा : जलदेवती मैया के वरदान
- छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह: धरती सबके महतारी -डॉ. बलदेव
- कलिंदर
- कईसन कब झटका लग जही…..
- छत्तीसगढ़ी कहानी : सजा
- छत्तीसगढ़ी भासा परिवार के भाषा : विकास अउ साझेदारी
- अहिमन कैना : छत्तीसगढी लोक गाथा
- टेंशन वाली केंवटिंन दाई 1
- मुख्यमंत्री संग संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ह सौजन्य मुलाकात करिन
- महिला बाल विकास परियोजना कोसीर क्षेत्र म 21 नावा ऑंगनबाड़ी केन्द्र खुलही
- साक्षरता का अकासदिया – पुस्तक समीक्छा
- सरगुजिहा जाड़ा कर गीत
- पारंपरिक देवार-गीत
- चतुर्भुज सिरक्कटी धाम
- अब बंद करव महतारी के अपमान
- माटी के काया
- नवा पहल 2019
- रितु बरनन
- लोक मंच के चितेरा
- सुजान कवि के सुजानिक छन्द कविता : छन्द के छ
- छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा के नइ होत हे विकास
- चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे।
- छत्तीसगढ़ गीत म सिंगार रस
- बजारवाद के नाला म झन बोहावव
- होली आवत हे
- मोर पहिली हवाई यात्रा
- मया बर हर दिन ‘वेलेन्टाइन डे’ होथे
- लइका बर खसरा अउ रुबैला टीका
- पुस्तक समीक्षा : अंतस म माता मिनी
- वंदे मातरम
- नंदाजाही का रे कमरा अउ खुमरी
- बियंग: निरदोस रहे के सजा
- मोर सुआरी परान पियारी
- मानसून मा : कुकुभ छंद
- मोर लइका पास होगे
- छत्तीसगढी साहित्य के सिरजन : लोकाक्षर 42
- ना बन बाचत हे ना भुइयां, जल के घलोक हे छिनइयां
- पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता : हरि ठाकुर
- रासन कारड
- सगा आवत हे
- झिरिया के पानी
- छत्तीसगढ़ के चिन्हारी आय- सुवा नृत्य
- खतरनाक गेम
- लोक कथा : लेड़गा के बिहाव
- आज जरूरत हे सत के
- पितर पाख तिहार म
- हमर खान-पान मा नून-मिरचा
- छत्तीसगढ़ के नारी
- अब तो किरपा कर राम
- अब बिहाव कथे, लगा के देख
- पर्यटन ल बढ़ावा देहे बर जबर उदीम करबो : डॉ. रमन सिंह
- हेलमेट के भूत
- गांव के पीरा
- पंचायत मंत्री अजय चन्द्राकर ह ‘कार्टूनों में अटल जी’ पुस्तक के करिस विमोचन
- नंदावत ढ़ेंकी
- मरहा राम के संघर्ष
- ढेला अऊ पत्ता
- नान्हे कहिनी : लबारी
- कइसे होही छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िहा?
- पारंपरिक राउत-नाच दोहा
- आज काल के लइका : दोहा
- तीजा पोरा
- दुसरो के बाढ़ ला देखना चाही : सियान मन के सीख
- गणतंत्र दिवस के करा तइयारी
- कविता : पथरा
- युग प्रवर्तक हीरालाल काव्योपाध्याय
- चँदा दिखथे रोटी कस
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के आयोजन
- अगहन बिरसपति – लक्ष्मी दाई के पूजा अगहन बिरसपति
- अस्पताल के गोठ
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल सुरूज ला ढि़बरी देखाए देबे अउ मर जवान, मर किसान
- नाग पंचमी के महत्तम
- कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.
- मनोज कुमार श्रीवास्तव के सरलग 41 कविता
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम
- सुरता : डॉ. विमल कुमार पाठक
- मैं आदिवासी अंव
- किसानी के पीरा
- छन्द के छ : उल्लाला
- कबिता : घाम जनावत हे
- इंडियन एयर फोर्स में सुप्रीटेंडेंट (स्टोर) व स्टोर कीपर पदों के लिए आवेदन आमंत्रित
- लोककथा के शिक्षक- संत गुरु घासीदास अउ उंकर उपदेस
- दिनेश चौहान के गोहार : महतारी भाखा कुरबानी मांगत हे
- कबिता : हाबे संसो मोला
- छत्तीसगढ़ी गज़ल – हम परदेशी तान ददा
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस म दोहा : बेटी
- हाय रे मोर गुरतुर बोली
- मेला जाबोन : महेन्द्र देवांगन “माटी” के गीत
- तेजनाथ के रचना
- तयं काबर रिसाये रे बादर
- बइला चरवाहा अउ संउजिया
- मोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : महंगा जमो बेचावत हें
- ग़ज़ल : गुलेल
- चुनाव आयोग म भगवान : व्यंग्य
- नेता मन नफरत के बिख फइलावत हे