- सवनाही : रामेश्वर शर्मा
- बोधन राम निषाद राज के तीन गीत
- साहित्यिक पुरखा के सुरता – कपिलनाथ मिश्र
- रूख लगाय के डाढ़ – कहिनी
- सुरुज किरन छरियाए हे
- छत्तीसगढ़ के शिव मंदिर
- नवा तिहार के खोज
- सांस म जीव लेवा धुंगिया
- लोककथा : कउंवा करिया काबर होईस
- अंगरेजी नवा साल!!
- छत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा- स्व. प्यारे लाल गुप्त
- आगे पढ़ई के बेरा : मोर लइका ला कहाँ पढ़ांव
- कहिनी : फंदी बेंदरा
- ढेलवा डोंगरी
- बेटी दमाद के करनी : नान्हे कहिनी
- छत्तीसगढ़ म जनचेतना के उन्नायक संत गुरु घासीदास
- पताल के चटनी
- धरती मँइयाँ : चौपाई छन्द
- छत्तीसगढ़ ‘वर्णमाला अउ नांव’ एक बहस
- गद्य साहित्य के कोठी म ‘बगरे गोठ’ के सकेला – पुस्तक समीछा
- नवा बछर के मुबारक हवै
- हमर गुरूजी – 9 दिसमबर पुन्यतिथि बिसेस
- महासमुंद : इंस्पायर अवार्ड मानक ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन 28 फरवरी तक
- नवा रइपुर मोर रइपुर
- असाढ़ ले आसरा हे….
- गीत: सरद के रात
- दू कबिता ‘प्रसाद’ के
- रामनौमी तिहार के बेरा म छत्तिसगढ़ में श्रीराम
- लोक कथा : कोपरी के महल
- छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन 2009
- सरग हे जेकर एड़ी के धोवन
- बिधना के लिखना
- सेल्फी के चक्कर
- बरछाबारी – 19
- बियंग कबिता : काशीपुरी कुन्दन के आखर बान
- बियंग: रूपिया के पीरा
- सुघ्घर लागथे मड़ई
- पोरा के बिहान दिन-तिजा
- खिल खिलाके तोर मुस्काई
- खुमरी : सरसी छंद
- चरन दास चोर
- माटी के मया
- भले मनखे ले जग म सुख-सांति जरूर आही
- कँपकँपाई डारे रे
- कमरछठ कहानी – सोनबरसा बेटा
- श्री केयूर भूषण ह पुस्तक भेंट करके दीस मुख्यमंत्री ल जनम दिन के बधाई
- जिनगी के प्रतीक हे भगवान जगरनाथ के रथ यात्रा
- जिनगी कइसे चलही राम
- छत्तीसगढ़ी भासा बर सकारात्मक संवाद जरूरी हे
- पलायन (कहिनी)
- बिसवास अउ आसथा के केन्द्र – दाई भवानी , विन्दवासिनी अउ बाबा बन्छोरदेव
- मतदान : चौपई छंद (जयकारी छंद)
- इसरो में साइंटिस्ट/ इंजीनियर के 87 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित
- छत्तीसगढ़ के बिहाव संस्कार-सर्व सामाजिक दायित्व बोध
- बारो महीना तिहार
- कबिता : सिध्दिविनायक मुसवा म काबर चढ़थे
- पढ़ई-लिखई : सरला शर्मा
- शिक्षा अधिकारी अपन आफिस म करवावत हे टोना-टोटका
- कबिता : नवा बछर के गाड़ा -गाड़ा बधाई
- सोनाखान के आगी – लक्ष्मण मस्तुरिया
- सरगुजिहा गीत – गोई रे
- पुस्तक समीक्छा : धनबहार के छांव म
- लोक कथा म ‘दसमत कइना’ के किस्सा
- करसी के ठण्डा पानी
- जरत रइथौं (गजल)
- अपन देस- शक्ति छंद
- छत्तीसगढ़ी भासा
- पातर पान बंभुर के, केरा पान दलगीर
- मेदिनी प्रसाद पाण्डेय के गीत
- जसगीत अउ छ्त्तीसगढ – दीपक शर्मा
- सरग निसैनी म चघ लइका हांसत हे, बादर ले चंदा झांकत हे
- आगे सन् अट्ठारा : सार छंद
- वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे
- सुरता सुशील यदु
- तय जवान कहाबे
- ढ़ूंढ़ी रक्सिन: छत्तीसगढ़ी लोककथा – 1
- दैनिक देशबंधु के संदर्भ में छत्तीसगढ़ी की साहित्यिक पत्रकारिता का विश्लेष्णात्मक अध्ययन
- विकास के काम ल गिनाए के जरूरत नइ होवय, काम खुदे बोलथे : डॉ. रमन सिंह
- सुकवि बुधराम यादव के सरस कविता संग्रह ”गॉंव कहॉं सोरियावत हें” गुरतुर गोठ म लउहे
- टुरी देखइया सगा
- लोक परब छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार
- तोरे अगोरा हे लछमी दाई
- गाँव गाँव आज शहर लागे
- नान्हे कहिनी : डोकरा-डोकरी के झगरा
- पितर पाख तिहार म
- गोविन्द राव विट्ठल के छत्तीसगढ़ी नाग-लीला के अंश
- बिन बरसे झन जाबे बादर
- चौमास : कबिता
- उ-ऊ छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोश
- गीत – बाँसुरिया के तान अउ सूना लागे घर अँगना
- व्यंग्य : बड़का कोन
- दिसाहीनता – सुधा वर्मा
- भासा कइसना होना चाही?
- कुकुर मड़ई माने डॉग शो अउ डॉग ब्यूटी कान्टेस्ट – गुड़ी के गोठ
- गीत : जिनगी के गाड़ा
- पुरखा के थाथी
- छत्तीसगढ़ी में मुहावरा के परयोग
- छन्द के छ : दू आखर
- छंद : मदिरा सवैया
- अड़हा दिमाग के कमाल