Categories: कविता

सगा आवत हे

कांव कांव कौआ ह,
बरेण्डी मे नरियावत हे |
लागथे आज हमर घर
कोनो सगा आवत हे||
बोरिंग ले पानी डोहार के
दुवार ल छींचत हे |
बिहनिया ले दाई ह
खोर ल लीपत हे ||
लकर धकर छुही मे
रंधनी ल ओटियावत हे |
दार चांउर ल निमार डर
बहु संग गोठियावत हे||
चौसेला खवाहूं कहिके
चाउंर ल पीसवावत हे
साग पान ल लान दे कहिके
टूरा ल खिसियावत हे
कांव कांव करके कौआ ह
बरेण्डी मे नरियावत हे
लागथे आज हमर घर
कोनो सगा आवत हे

महेन्द्र देवांगन”माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला-कवर्धा (छ .ग)
मो नं.-9993243141

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