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गीत

सपना के गांव

हाना हाना म डोले मोर सपना के गांव
पाना पाना म लिखे महतारी के नांव.

झुनुक झेंगुर हर गावे फुदुक टेटका मगन
आनी बानी के फूल इंहा हरियर उपवन
बाना बाना मा बोले मोर सपना के गांव
पाना पाना म लिखे महतारी के नांव.

धरे नांगर तुतारी, धनहा बिजहा माटी
धरती दाई के बेटा के भुइंया थाती
गाना गाना म फूले मोर सपना के गांव
पाना पाना म लिखे महतारी के नांव.

ऐंठी चूरी महावर छिंटही लुगरा पहिरे
तीजा पोरा म ठमके बेनी फुंदरा झमरे
रीति रीति म गावे मोर सपना के गांव
पाना पाना म लिखे महतारी के नांव.

चंदा सुरूज चमके कोयली कुहक मारे
भाखा बोली मया के इहां मंदरस घोरे
ताना बाना मा झुमे मोर सपना के गांव
पाना पाना म लिखे महतारी के नांव.

शकुन्तला तरार

4 replies on “सपना के गांव”

SHEETAL K SAHUsays:

haw isnech he mor sapna ke goan

धरे नांगर तुतारी, धनहा बिजहा माटी
धरती दाई के बेटा के भुइंया थाती
गाना गाना म फूले मोर सपना के गांव
पाना पाना म लिखे महतारी के नांव.

फेर कतका दुख के बात हे भुइया के बेटा बनी भूती करे बर परदेश मा परे हे

शकुन्तला शर्माsays:

मोर सहिनाव के रचना हर गजब सुघ्घर हे अऊ जतका सुघ्घर ओकर रचना हे ओतके सुघ्घर ओकर फोटो घलाव हर हावय । सुन्दर कवयित्री के सुन्दर कविता । बड नीक लागत हे ।

BHOLARAM SAHU 'DAU'says:

bahut sugghar geet he

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