सावन के परत हे फुहार

सावन के परत हे फुहार।
रे संगी मोर आजा मोला झन बिसार।

गरज चमक के बईरी बजुरी डरवावत हे।
पानी के परत हे झिपार।
रे संगी मोर आजा….

छानी के ओईरछा हा, टप टप चुहत हे।
जइसे मोर आँसू के धार।
रे संगी मोर आजा….

हरियर रूख राई मन, मोला बिजरावत हे।
तुहंर बिना ठुंडगा जिनगी हमार।
रे संगी मोर आजा…

एसो के सावन मा आ जाबे जोंही मोर।
नही ते बादर कस जिनगी अंधियार।
रे संगी मोर आजा…

सुरता आथे तोर चुहत रहिथे आँसू।
काबर सुरता दिये हव बिसार।
रे संगी मोर आजा मोला झन बिसार।

सावन के परत हे फुहार।
रे संगी मोर आजा मोला झन बिसार।

केंवरा यदु मीरा

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