का फ़रक हवय सेन्ट्रल अउ रज्य सरकार के नौकरी म,
एक आफ़िस महल कस,दुसर चलथे निच्चट झोपड़ी म।
सेन्ट्रल वाले मन ला अपन तन्खा उप्पर अभिमान होथे,
पर स्टेट वाले मन बर तन्खा केवल एक अनुदान होथे।
सेन्ट्रल म काम के समय दस से छय कड़ाई से लागू होथे,
स्टेट् कार्यालय म असली काम हा छय के बाद चालू होथे।
सेन्ट्रल म बाबू बाबू होथे अउ अधिकारी हा अधिकारी होथे,
राज्य सरकार म बाबू मन अधिकारी मन उप्पर भारी होथे।
सेन्ट्रल म सीएल लेवब म कर्मचारी के प्राण निकल जाथे,
जबकि स्टेट म बिना आवेदन के समाधान निकल जाथे।
सेन्ट्रल कर्मचारी अधिकारी मन कार्यक्षेत्र से सीधा घर जाथे,
जबकि स्टेट वाले बहुत झन पहली भोलेसंकर के ही दर जाथे।
वैसे दुनो जगह के हर ब्यबस्था म रात दिन के फ़रक हवय,
पर कामन मेन के ब्यक्तिगत काम बर दुनो हा नरक हवय।
एखर जादा बताहूं तो उहां के मनखे मोला मारे बर आ जाही,
पर उनला पता नइ हे मोर बेटा हे कांग्रेसी अउ मे हंव भाजपाई।
डॉ.संजय दानी