Categories
गीत

सोनहा सावन सम्मारी

सोनहा समे हे सावन सम्मारी,
भजय भगद हो भोला भण्डारी।
सोनहा समे हे सावन सम्मारी,
भजय भगद हो भोला भण्डारी।।

नीलकंठ तोर रूप निराला,
साँप-डेरू के पहिरे तैं माला।
जटा मा गंगा,माथ मा हे चंदा,
अंगरक्खा तोर बघवा छाला।।
भूत,परेत,नंदी हे संगवारी।
सोनहा समे हे सावन सम्मारी।।१
भजय भगद हो भोला भण्डारी।।

कैलासपती तैं अंतरयामी,
तीन लोक के तैं हर सुवामी।
सिचरन संग सकती साजे,
देबी देवता के तैं देव धामी।।
जगत म जबर तैं जटाधारी।
भजय भगद हो भोला भण्डारी।।२
सोनहा समे हे सावन सम्मारी।।

सिव संगीकर बड़ बरदानी,
महादेव सबो अगमजानी।
माँगत हवन जन कल्यान,
आसुतोस तैं औखङदानी।।
हाथ जोर पयलगी त्रिपुरारी।
सोनहा समे हे सावन सम्मारी।।३
भजय भगद हो भोला भफबण्डारी।।

तिरलोचन तोर तिरसूल,
हरय हमर हिरदे हूल।
अरपन हे तन,मन अउ
दूध,बेलपान,धतूरा फूल।।
अति अगम “अमित”अवतारी।
सोनहा समे हे सावन सम्मारी।।४
भजय भगत हो भोला भण्डारी।।

कन्हैया साहू “अमित”
परशुराम वार्ड~भाटापारा
जिला- बलौदाबाजार (छ.ग.)
संपर्क- 9200252055